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अतीत का महत्त्व है इससे इन्कार नहीं है। उसे यूँ ही भुलाकर नहीं रहा जा सकता... परन्तु कदम-कदम पर अतीत की दुहाई देना... उसी से चिपटे रहना स्वयं को खतरे में डालना है। अतीत की स्मृति भले ही रहे परन्तु दृष्टि तो भविष्य की ओर केन्द्रित रहनी चाहिए...। हम क्या थे इसकी अपेक्षा अधिक महत्त्वपूर्ण यह देखना है कि अब हमें क्या बनना है? समय के साथ आगे चलना और देखना जरूरी है। पिछले समय से तो मात्र शिक्षा लेनी चाहिए... यदि मनुष्य का पीछे की ओर देखना जरूरी होता तो आँखें आगे की बजाय पीछे होती। कहा जाता है कि भूत के पैर पीछे की ओर उलटे होते हैं... अतः इस बात को याद रखकर आगे बढ़ना।
पीछे नहीं... आगे देखिए.....
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