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________________ Jain Education International इस संसार में जीने के दो ढंग है - एक है लड़ना और दूसरा है सहना । इस सृष्टि में प्रत्येक व्यक्ति इतना पुण्यशाली नहीं होता कि उसे उचित समय पर सब कुछ मनचाहा मिल जाए..... चाहे घटना प्रिय हो या अप्रिय..... चाहे सत्कार मिले या तिरस्कार..... व्याकुलता रहित होकर सहना सीखो। और यह अमूल्य जीवन तो दूध से भरा हुआ प्याला है । जीवन में जो भी प्रतिकूलता है वह मात्र चुटकी भर राख जितनी है। For Private & Personal Use Only यूँ भी इस संसार के समस्त पदार्थ और व्यक्ति अस्थिर और विनाशी हैं। हर व्यक्ति में गुण भी है और दोष भी है..... परिस्थितियाँ सदा तब्दील होती ही रहती हैं। ऐसे में सहनशीलता से सब कुछ स्वीकार करें। २५ जो सहइ तस्स धम्मो । सहना सीखो www.jainelibrary.org 53
SR No.003222
Book TitleLife Style
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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