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अच्छा आज...
बुरा कल.
जो अच्छा है वह मैं आज ही कर लूँ और जो बुरा है वह मैं कल पर टाल दूं - यह सूत्र जीवन को गलत दिशाओं में जाने से रोक देगा।
कभी क्रोध आ जाए तो ठहर जाओ, उसे कल पर टाल दो... कभी अप्रिय, कटु वचन कह डालने की तीव्रता भीतर में आ जाए तो उसे कल पर टाल दो...
यदि अपने अपराधों की क्षमा मांगनी है तो आज ही मांग लेना...
प्रार्थना करनी है तो आज ही कर {तं अज्ज चिय करेह तुरमाणा ।
लेना... दान देना है तो आज ही दे देना... व्रत नियम करना हो तो आज ही कर लेना...
धर्म आज ही कर लेना और अधर्म कल पर टाल देना। शुभ कार्य करने में विलम्ब करने से मन के भाव बदल सकते हैं इसलिए उसमें देरी मत करो...
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