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मेरी आराधना { मृत्युपरिभावनं चैव ११
श्रीमद् रामचन्द्र जी ने कहा है - संसार में कदम रखते पाप है, देखने में ज़हर है
और मस्तक पर मौत मंडरा रही है ऐसा विचार करके आज के दिन में प्रवेश करो... यह संसार जिसमें हम रहते हैं यहाँ हर कदम पर पाप कराने वाली क्रियाएं हो रही हैं अतः हर पल पाप हो जाने की पूर्ण संभावना है..
यह संसार जिसमें हम रहते हैं यहाँ सभी ज़हर उगलते हैं अर्थात् देखने में जहर है। यूँ हर पल मौन सिर के ऊपर है अतः मृत्यु की स्मृति पाप करने से अटकाती है.... मेरी आराधना ऐसी हो जो मुझे पापों से अटकाये... मैं प्रभु भक्ति और ज्ञान की आराधना में एकाग्र हो जाऊँ। मन में समता, तन की क्षमता... आत्मरमण की शक्ति हो।
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