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जिन्दगी...
परिवर्तन का नाम है...
जीवन एक ऐसा प्रवाह है जिसकी धारा सदा एक रूप से नहीं बहती। जीवन में उतार-चढ़ाव, धूप-छाँव, सुख-दुःख, लाभ-हानि, अच्छा-बुरा आदि होता रहता है। यह ज़िन्दगी सुख-दुःख के मिश्रण से ज्यादा कुछ भी नहीं है। परिवर्तन इस संसार का निश्चित नियम है... चाहें हम इस परिवर्तन को पसंद करे या नापसंद करें परन्तु उसे स्वीकारना पड़ेगा। समता भाव से जीवन में होने वाले हर परिवर्तन को स्वीकारना ही चाहिए। कहा भी है -
सुख में ही सब यार होते हैं, दुःख में कपड़े भी भार होते हैं। सुख-दुःख दोनों में जो सम है, वे विरले सौ में चार होते हैं।
। संसारै सञ्चलत्येव सुखदुःखैकसन्ततिः ।।
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