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भय सदा अज्ञानता से उत्पन्न होता है।
ऐसे सात प्रकार के भय हैं - (१) मनुष्य को मनुष्य से भय होता है। (२) मनुष्य को जानवर से भय होता है।
(३) चोर आदि से भय होता है.
(४) अकारण भी भय लगता है। (५) पीड़ा के समय होने वाला भय है। (६) मृत्यु के क्षणों में होने वाला भय है।
(७) अपयश का भय है। भय जब भी लगे तभी मनोबल को तीव्र बना लो। जो दूसरों को डराता है, वही दूसरों से डरता है। ऐसा मनुष्य
किसी का सहायक नहीं बनता।
भय मुक्त रहो
पडिक्कमामि सहिं भयठाणेहिं {{
आत्मा की शक्ति अनन्त है जो भीतर में छिपी हुई है उसे प्रकट करो।
आत्मा की शक्ति से बढ़कर कोई भी शक्ति नहीं है।
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