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जीवन का हर दिन आखरी दिन
जीवन का हर दिन आखरी दिन है ऐसा समझकर भीतर की तैयारी कर लेनी चाहिए। यदि हमें हमारी मौत की याद निरन्तर बनी रहे तो भीतर की तैयारी की जा सकती है। मृत्यु हमारे सिर पर बंधी एक घंटी है जो हर घड़ी सावधानी रखने की चेतावनी देती है। दूसरे की मृत्यु देखकर परलोक की तैयारी कर लेनी चाहिए... पानी के बुलबुले को देखकर पाप से बचने की तैयारी कर लेनी चाहिए... हर शाम को ढलते सूरज को देखकर भीतर झाँकने की तैयारी कर लेनी चाहिए...
॥ गृहीत इव केशेन मृत्युना धर्ममाचरेत् ।।
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इस मृत्यु के शास्त्र को हर पल याद रखो... भीतर की तैयारी आसानी से हो जाएगी।
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