SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 25
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ {{क भयेन मुनेः स्थेयं ज्ञेयं ज्ञानेन पश्यतः {{ भय मुक्त बनना है... जब मेरी आत्मा का मौलिक स्वरूप निर्भयता है तो फिर मुझे भय क्यों लगता है? सच यह है कि हमें भय से मुक्त रहना चाहिए क्योंकि अपनी आत्मा तो अजर-अमर है उसका तीन काल में भी विनाश नहीं होता। इस आत्मा का न तो शस्त्रों से छेदन हो सकता है और न अग्नि उसे जला सकती है परन्तु कर्मों से बँधी आत्मा अपना मौलिक स्वरूप भूल कर भय के अंधेरे से कमजोर हो जाती है। मेरी आत्मा में अनन्त शक्ति ऐसी है जो हर भव के अंधकार को दूर करने में सक्षम है ऐसा चिन्तन प्रतिदिन करें। किसी कवि की भी दो पंक्तियाँ है - ऐसी आत्मा हो बलवान मेरा मन कभी भी डोले ना। खुद पर हो ऐसा विश्वास किसी का आसरा टोले ना || Jain Education Interational For Private & Personal Use Only corrary.org
SR No.003222
Book TitleLife Style
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy