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सिर्फ जागो
जीवन को जानने के लिए और जीने के लिए जागना अनिवार्य है। अक्सर होता यह है कि हम जीवन में जाग भी नहीं पाते कि जीवन हमारे हाथ से फिसल जाता है... जीवन क्या है यह जान भी नहीं पाते कि जिन्दगी अपनी Boundary को पूरा कर देती है।
यह जन्म ही ऐसा है
जहां जागने के
लिए सुविधाएं खूब हैं। सारे
साधन जो जागने के
लिए चाहिए सब मौजूद है सिर्फ जागने का उपक्रम करना है।
जितनी जल्दी जाग जाओ और चल पड़ो उतना ही अच्छा है। यदि स्वयं की आत्मा को जगाना हो तो स्वयं को ही श्रम करना होगा। यदि जागना चाहते ही हो तो जागे हुए व्यक्ति का साथ निरन्तर चाहिए। जागृत व्यक्ति का एक वचन भी जागृति ला सकता है। अतः जो जाग जाते हैं वे चल पड़ते हैं ।
{{मा सुअह जग्गियव्वे ।।
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