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________________ विवेक जीवन का ताना-बाना जनम-जनम से उलझा हुआ है। मनुष्य की सबसे बड़ी उलझन यही है कि वह अपनी नजर से दूसरों को देखता है तथा दूसरों की नजर से स्वयं को निहारता है। उसे सुलझाने के लिए तीर्थंकरों ने एक महत्वपूर्ण दृष्टि दी है जिसका नाम है विवेक। जीवन में विवेक उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शरीर के लिए स्वास्थ्य। विवेक का अर्थ है भले-बुरे का ज्ञान कराने वाली निर्मल बुद्धि अर्थात् क्या मेरे लिए हितकारी है इसका बोध देने वाली दृष्टि । शेक्सपीयर ने कहा है-तुम्हारा विवेक ही तुम्हारा गुरू है। मन के हाथी को विवेक के अंकुश की जरूरत होती है। हृदय में विवेक का दीया जलता हो तो वह हृदय मंदिर के तुल्य माना जाता है। कहा भी है - आँख का अन्धा संसार में सुखी हो सकता है पर विवेक का अंधा कभी सुखी नहीं हो सकता। उपयोग शून्य क्रिया का नाम ही अविवेक है। क्रिया करते हुए उसी में उपस्थिति रखना विवेक है और अनुपस्थिति अविवेक है। जैसे गाड़ीवान बैलगाड़ी को चलाते हुए खड्डे में गिरे तो यह गाड़ी का दोष नहीं है। यह तो गाड़ीवान का अविवेक है। विवेकी मनुष्य को पाकर गुण उसी प्रकार सुन्दरता को पाप्त होते हैं, जैसे सोने से जड़ा हआ रत्न अत्यंत सुशोभित होता है। अतः अपने विवेक को अपना शिक्षक बनाओ। विवेकपूर्ण जीवन पापों से बचाता है। 145 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003222
Book TitleLife Style
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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