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________________ आत्मविश्वास जीवन-वृक्ष की जड़ है आत्म विश्वास। वृक्ष का विकास जड़ों की गहराई पर निर्भर करता है। वृक्ष को छोटे पौधों की तरह खाद-पानी की जरूरत नहीं होती उनकी गहरी जड़ें ही उनका आवश्यक पोषण पैदा करती है। ये जड़ें दृढ़ता भी देती हैं जिनके सहारे पेड़ आँधी-तूफानों के बीच तन कर खड़े रहते हैं। भय और शंका रहित जीवन जीने का नाम ही आत्मविश्वास है। हीनता की छोटी सी ग्रंथि आत्मविश्वास को कमजोर कर देती है। हीनता ग्रंथि कहती है - "वह बड़ा मैं छोटा।'' हीन भावना आते ही खून ठंडा पड़ जाता है और दिमाग की सोच सुस्त हो जाती है। दरअसल बात यह है कि आदमी अपनी क्षमताओं के प्रति सजग नहीं होता। दुनिया में शक्ति और साधनों की कमी नहीं है, कमी है प्राप्त सुविधा और शक्ति का विधेयात्मक दृष्टिकोण से मूल्यांकन करने की। हमारा आत्मविश्वास इतना प्रबल और अनन्य बनें कि वह पानी को घी और बालू को चीनी बना सके। प्रोत्साहन, प्यार और प्रशंसा के द्वारा भीतर के आत्मविश्वास को जगाया भी जा सकता है और बढ़ाया भी जा सकता है। एक बार आत्मविश्वास जाग जाए तो आत्मा में रही हुई अनंत शक्ति का परिचय होने लगता है जो पूर्णता देने वाला है। 11 अप्पदीवो भव । 141 www.jainelibrary.org Jain Education International For Private & Persunal
SR No.003222
Book TitleLife Style
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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