________________
IT यह जिंदगी
हँसते-खेलते हुए जीने के लिए है। चिन्ता, भय, शोक, निराशा, ईर्ष्या में बिलखते रहना मूर्खता है। महात्मा गाँधी ने कहा है - हँसी मन की गाँठे खोल देती है सिर्फ मेरे मन की ही नहीं तुम्हारे मन की भी । हँसने की शक्ति कुदरत ने मनुष्य को ही इसलिए प्रदान की है ताकि वह क्षण भर के लिए अपने दुःख और दर्द से मुक्ति पा सकें। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से दिल खोलकर हँसना, मुस्कुराते रहना और चित्त प्रफुल्लित रखना एक उत्तम औषधि है। तभी तो कहते हैं मानसिक स्वास्थ्य के लिए किसी तार्किक प्रक्रिया की अपेक्षा खूब जोर से हँसना अधिक हितकारी है। हँसना यह आनंद का विषय है परंतु दूसरों पर हँसना दुःखदायक है। मनुष्य ऐसी हँसी नहीं सह सकता जिस हँसी में ईर्ष्या, उपहास व्यंग्य और तीक्ष्णता होती हो। हँसने का प्रसंग नहीं हो तो हँसना मूर्खता है। अकारण हँसना स्वयं को हँसी का पात्र बनाना है। अभद्र हँसी मित्रता के लिए प्राणघातक विष बन जाती है। हास्य भी एक कला है, जब उसमें विवेक झलकता हो। विवेकपूर्ण हँसी नई प्रेरणा, स्फूर्ति और विचारों का स्रोत है । वनस्पति के लिए जैसे खुली धूप और हवा पोषक होती है ठीक उसी प्रकार हँसना भी मनुष्य के लिए टॉनिक का काम करता है।
18 Smile
Smile for me.. Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelihen