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________________ अहंकार मनुष्य की स्थिति बड़ी अजीब है। वह जीते जी कभी शांत नहीं होता। शायद उसने कसम खाई है कि जब तक जीऊँगा, अशांत ही रहूँगा । यह अशांति उसके अहंकार के कारण है। अहंकार को Football की उपमा दी गई है। जैसे लोग Football को तब तक ठोकरें मारते हैं जब तक उसमें हवा भरी रहती है। हवा निकल जाए तो फिर उसे कोई नहीं छेड़ता। मन में भी जब तक झूठी शानशौकत, शौहरत और धन के अहंकार की हवा भरी रहती है तब तक वह फूला नहीं समाता। यह अफीम के नशे से भी ज्यादा खतरनाक है जो हमारी दशा और दिशा को बिगाड़ देता है। भ. महावीर ने कहा है पत्थर के स्तम्भ के समान जीवन में कभी न झुकने वाला अहंकार आत्मा को नरक की ओर ले जाता है। इस अहंकार से मनुष्य को बड़ा लगाव है तभी तो उसके सिर पर ''बड़ा बनने' का भूत सवार है किन्तु अहंकार नहीं जानता कि बड़ा बनने का राज क्या है। वह तो कहता है कि जिसके पास शक्ति है, सत्ता है या वैभव है वह बड़ा है। संतो ने ऐसे अहंकारी को बड़ा नहीं कहा। बड़ा तो वह है जिसमें बड़प्पन है जो बड़ों , का आदर और छोटों से प्यार करना जानता है। जो हाथ जोड़कर जीना और मुस्कुराकर मरना जानता है वह बड़ा है, उसके जीवन में कभी अहंकार की छाया नहीं पड़ सकती। {{ अभिमानो विनाशाय १५ 100 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003222
Book TitleLife Style
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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