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________________ लालच बुरी बलाय एक महाजन अपना व्यापार चौपट हो जाने के कारण.. गरीब हो गया था; इसलिए बड़ा उदास था। उसकी पत्नी ने उसे ढाढस बँधाते हुए कहा नाथ ! मेरे पास चाँदी के गहने हैं। आप उन्हें बेच कर प्राप्त धन से कुछ सामान खरीदिये और व्यापार कीजिए। उससे जो भी कमाई होगी; उसी में घर का खर्चा चला लूँगी। पति ने चाँदी के गहने बेचे, तो उसे दस रुपये मिले। उसने दो रुपयों की भाँग खरीदी और बाजार में बेचने गया। वहाँ एक लाला ने उसे फुसलाकर भाँग एक रुपये में खरीद ली। दूसरे दिन फिर चार रुपये का रेशम खरीद कर वह बेचने गया । फिर उसे वही लाला खरीददार मिला। उसने कहा यह तो सूत की गुच्छियाँ हैं। मैं इनकी कीमत दो रुपये दे सकता हूँ। महाजन ने दो रुपयों में वह रेशम बेच दिया इस प्रकार उस बेचारे को तीन रुपयों का घाटा हुआ। तीसरे दिन उसने सोने का मुलम्मा चढ़ाकर एक लोहे का कड़ा तैयार किया। उसमें छह रुपये खर्च हुए। वह फिर लाला के पास गया। लाला बोला- यह सोना नहीं पितल है, इसकी कीमत पचास रुपये ही आ सकती है। महाजन पचास रुपये लेकर घर चला गया। चौथे दिन फकीर के वेश में वह लाला की गली में गया और गाने लगा Jain Education International — फूस भरोसे भाँग ली, सूत बताकर रेशम । खबर पड़ेगी बस तभी, कड़ा कटेगा जिस दम || लोभ के कारण मनुष्य को अन्त में हानि ही उठानी पड़ती है । For Private & Personal Use Only 95 www.jainelibrary.org
SR No.003222
Book TitleLife Style
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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