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________________ 94 माँ तेरी ।। वज्जिज्जा परोवतावं । या मेरी ? नयी नवेली घर में आयी बहू सास को दिन भर ताने मार-मार कर परेशान करने लगी। उसकी मुख्य शिकायत यह थी कि बुढ़िया कुछ काम नहीं करती। पति ने उसे एक नौकरानी रखने का आश्वासन दिया। इस पर पत्नी ने कहा कि आप मेरी माँ को ही यहाँ बुलवा लीजिये। हम दोनों मिलकर सारा काम सम्हाल लेंगी। पति ने वैसा ही किया। अपनी सास को उसने यहाँ बुलवा लिया। अब दोनों मिलकर उस बुढ़िया को सताने लगी, उस बेचारी का दुःख दुगुना हो गया। रोज के इस झगड़े से बचने के लिए एक दिन पति ने अपनी पत्नी से कहा कि यदि मैं रात को उठकर माँ की खाट कुएँ में डाल दूँ तो कैसा रहेगा। यह सुनते ही पत्नी ने प्रसन्न होकर अपनी सहमति दे दी। फिर पति ने कहा कि आज तुम मेरी माँ के खाट के पाये में काला धागा बाँध देना, जिससे पहचानने में मुझे सुविधा होगी। पत्नी ने पति की बात स्वीकार की । EG फिर आधी रात के समय पति बिना धागे वाली अपनी सास की खाट दो आदमियों से उठवाकर कुएँ पर ले गया। फिर उसने सास को उठाकर सारी बात सुनाई। सास डर गई और उसने अपनी भूल के लिए क्षमायाचना की। तब उसने सास को उसके घर भेज दिया। सुबह एक खाट गायब देखकर छाछ बिलोती हुई बहू बोली पति की माँ कुएँ में डाली धमाकधम् ! झबडक झम् झबडक झम् ॥ इस पर पति बोला तेरी माँ कुएं में डाली धमाकधम् । देखेगी छाती कूटेगी धमाकधम् || इस पर पत्नी रोने लगी। फिर पति ने उसे सच्ची बात बताकर शांत कर दिया। उस दिन से सारा झगड़ा मिट गया।
SR No.003222
Book TitleLife Style
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages180
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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