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सात छड़ें छह बेटे
एकता में बड़ी ताकत है ।
एक गाँव में एक बूढ़ा आदमी रहता था। उसके छह बेटे थे। वे अक्सर आपस में बेवजह लड़ा करते थे। पिता सबको समझाता कि आपस की फूट ठीक नहीं । पर उसकी बात किसी ने नहीं सुनी।
एक दिन बूढ़े बाप ने अपने छहों पुत्रों को बुलाया और उनके सामने लकड़ी की सात छड़ें, जो आपस में एक-दूसरे से जुड़ी हुई थीं, रखकर कहा, मैं उस बेटे को सौ रुपए दूँगा जो इसे तोड़कर रख देगा। एक के बाद एक सभी लड़कों ने छड़ें तोड़ने की कोशिश की, पर वे उसे अपनी पूरी ताकत आजमाने के बाद भी तोड़ न सके ।
इसे तोड़ना नामुमकिन है। वे सब चिल्लाए । इन्हें तोड़ा जा सकता है, पर इस तरह । कहकर पिता ने सातों छड़ों को अलग कर दिया। फिर एक के बाद एक सभी छड़ों को तोड़ दिया ।
इस तरह तो इन्हें कोई नन्हा बच्चा भी तोड़ सकता है। छहों पुत्र पुनः चिल्लाए । इस पर उनके पिता ने उन्हें समझाया, सब मिलकर रहोगे तो इन छड़ों की तरह कभी कोई तुम्हें नहीं तोड़ सकेगा, न तुम्हें नुकसान पहुँचा सकेगा। पर तुम लड़-झगड़ कर अलग हो जाओगे तो किसी भी वक्त तुम्हें नुकसान पहुँचाया या नष्ट किया जा सकता है।
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