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।। सत्तवैकवृतिधीरस्य ज्ञानिन: सुकरं पुन: ।।
दुःख का साथी
जो धैर्यसंपन्न है उस के लिये कुछ भी दुष्कर नहीं, और दुःस्वरूप भी नहीं.
जॉन और मारिन एक दिन खरीदारी के लिए गए। काफी फल खरीदने की वजह से उनके थैलों का बोझ बढ़ गया। बोझ से परेशान जॉन रास्ते में बड़बड़ाता हुआ चल रहा था, पर मारिन पर उसकी झुंझलाहट का कोई असर नहीं पड़ रहा था। उलटा वह हँसती-हँसती उसे एक चुटकुला सुनाने लगी।
जॉन चिढ़ गया और गुस्से से बोला, 'मारिन ! क्या तुम चुप नहीं रह सकती? बड़ी चुहल सूझ रही है न ! मेरी तरह अगर तुम्हें यह भारी बोझा उठाना पड़ता तो सारी हँसी भूल जातीं।"
मारिन बोली, "प्यारे जॉन ! बोझा तो मेरा भी कम नहीं; पर हाँ, मैंने उसे अपने एक साथी से बाँट लिया है, इसीलिए महसूस नहीं हो रहा।" _जॉन सुनकर हैरान रह गया । बोला, ''मुझे भी बताओ, कौन है वह साथी? मैं भी उसे अपना मित्र बना अपना बोझा बाँ-गा।"
'मारिन ने उत्तर दिया, "जिस साथी को अपना मित्र बना लेने से सारा बोझ हलका हो जाता है उसका नाम है-धैर्य।"
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