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________________ एक बार बादशाह अकबर नदी तट पर नमाज पढ़ रहे थे अचानक एक औरत वहाँ से भागती हुई निकली और आसन पर पैर रखकर आगे बढ़ गई। बादशाह को इस पर बड़ा गुस्सा आया, पर वे नमाज पढ़ रहे थे; इसलिए उस समय तो कुछ नहीं बोले; पर जब वह वापस लौटी, तब बादशाह ने उसे रोक लिया। बादशाह ने उसे डाँट कर गुस्से में कहा - अरी अंधी ! क्या दिखाई नहीं दिया, जो तू मेरे नमाज के आसन पर पैर रखकर चली गई ? मैं उस वक्त नमाज पढ़ रहा था, सो क्या तुझे दिखाई नहीं दिया ? तब वह औरत बोली - जहाँपनाह ! मुझे माफ करें। मैं उस वक्त मेरे पति से मिलने जा रही थी। मिलने का समय हो चुका था और मेरा पति उस वक्त बड़ी बैचेनी से मेरा इन्तजार कर रहा होगा, यह सोचकर मैं भागी जा रही थी। हुजूर! उस समय मेरा सारा ध्यान मेरे पति में लगा था, इसलिए मैं अन्धी हो गई थी, पर मेरा आपसे नम्रतापूर्वक एक सवाल है। आप भी तो नमाज में खुदा से मिलने जा रहे थे न? फिर मैं आपको कैसे सूझ पड़ी ? नर राची सूझी नहीं, तुम कस लखी सुजान ? पढ़ कुरान बौरे भये, नहीं राचे रहमान ।। बादशाह को अपनी गलती का अहसास हुआ। उन्होंने मार्गदर्शन के लिए उस औरत को धन्यवाद दिया और वे अपने महल की ओर लौट पड़े। नहीं राचे रहमान तल्लेसे ।। ॥ तच्चिते. तम्मो 9 Sucation For Private & Personal se only
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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