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एक महात्मा नदी के किनारे स्नान कर रहे थे। उन्होंने देखा कि एक बिच्छू पानी की धार में बह रहा है। उन्होंने उसको बचाने के लिए हाथ में उठा लिया । बिच्छू ने डंक मारा, . जिससे हाथ हिला और बिच्छू फिर पानी में जा गिरा । महात्मा ने उसे फिर उठा लिया। बिच्छू ने फिर डंक मारा और हाथ हिलने से वह फिर पानी में गिरकर बहने लगा । तीन-चार बार ऐसा ही हुआ ।
किनारे पर खड़े एक व्यक्ति ने कहा, "अरे महात्मा जी, डंक मारता है तो उसे छोड़ क्यों नहीं देते ?"
महात्मा ने उत्तर दिया, "भाई, बिच्छू का स्वभाव है डंक मारना और मेरा स्वभाव है बचाना । जब यह कीड़ा होकर भी अपना स्वभाव नहीं छोड़ता तो मैं मनुष्य होकर अपना स्वभाव कैसे छोड़ू ?"
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बिच्छू के डंक
दूसरे का स्वभाव चाहे तुम्हें पसंद न हो, लेकिन तुम्हें अपना नेक स्वभाव नहीं छोड़ना चाहिए ।
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