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________________ गुरु नानक अपने शिष्यों के साथ घूमतेफिरते एक बार एक गाँव में पहुंचे। उस गाँव के लोग बहुत ही उदार थे, साधु-संतों के बड़े भक्त थे। उन्होंने गुरु नानक का बहुत स्वागत-सत्कार किया। जब गुरु नानक गाँव से विदा होने लगे तो उन्होंने गाँव वालों को आशीर्वाद दिया, "तुम्हारा गाँव उजड़ जाए और तुम सभी अलग-अलग गाँव में जाकर बसो।' गुरु नानक के शिष्यों को बड़ा अनोखा आश्चर्य हुआ। ___ कुछ दिन बाद गुरु नानक अपने उन्हीं आशीर्वाद शिष्यों के साथ घूमते-फिरते एक दूसरे गाँव में पहुँचे। उस गाँव के लोग बहुत ही स्वार्थी थे। उस गाँव में एक भी सज्जन नहीं था। उस गाँव के लोगों ने स्वागत-सत्कार तो दूर, गुरुजी को बैठने तक को नहीं कहा और उन्हें पत्थरों से मारा । पर गुरु नानक ने मन में दुःख नहीं माना। उन्होंने गाँव वालों को आशीर्वाद दिया, "तुम्हारा गाँव आबाद रहे और तुम लोग सदा इसी गाँव में बसे रहो।" अब तो शिष्यों को गुरुजी पर बड़ा क्रोध आया। गाँव से बाहर निकलने पर उन्होंने गुरुजी से पूछा, "गुरुजी, भला यह आपका कैसा न्याय है ?" गुरु नानक ने हँसकर उत्तर दिया, 'मैंने जो कुछ कहा है, उसमें एक राज है। अच्छे लोग जहाँ बसेंगे वहीं लोगों को अच्छी बातें सिखाएँगे, इससे अच्छाई फैलेगी। लेकिन यदि बरेलोगगाँव छोड़कर दूसरे गाँवो में जाएँगे तो लोगों को बुरी बातें सिखाएँगे, जिससे बुराई फैलेगी। इसलिए मैंने अच्छे लोगों की बस्ती को उजड़ जाने के लिए कहा, जिससे वे चारों ओर फैल जाएँ और बुरे लोगों को एक ही गाँव में बसे रहने के लिए कहा, जिससे अपने दुर्गुणों का वे प्रसार न कर सकें।" अच्छे बनो, अच्छाई फैलाओ इसी में जीवन की सार्थकता है। 90 Jain Education Internal Syeww.jainelibrary.org
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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