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________________ संगोतं का प्रभाव | परमहस एक बार एक धनी व्यक्ति ने स्वामी रामकृष्ण परमहंस से निवेदन किया, "भगवान्, यह रुपयों की थैली मैं आपके चरणों में भेंट करना चाहता हूँ। कृपया आप इसे स्वीकार करें।" ___परमहंस मुस्कुराए, ''भाई, मुझे माया के जाल में न फँसाओ। मैं तुम्हारा धन ले लूँगा तो मेरा चित्त उसमें लग जाएगा। इससे मेरी मानसिक शांति भंग होगी।" धनिक ने तर्क दिया, "स्वामीजी ! आप तो परमहंस हैं। आपका मन उस तेल-बिंदू के समान है जो कामिनी-कंचन के महासमुद्र में स्थित होकर भी सदैव उससे अलग रहेगा।" ___परमहंस गंभीर हो गए, "भाई, क्या तुम नहीं जानते कि अच्छे से अच्छा तेल भी यदि बहुत दिनों तक पानी के संपर्क में रहे तो वह अशुद्ध हो जाता है और उससे दुर्गंध आने लगती है।''धनी ने अपना आग्रह त्याग दिया। मोह-माया जीवन का बंधन है। 1189 Jain Education International www.jainelibrary KCele&SSOCIAL PM सा
SR No.003221
Book TitleStory Story
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanbodhisuri
PublisherK P Sanghvi Group
Publication Year2011
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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