SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 524
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ साध्वी डॉ. दर्शीतकलाश्री नाम साध्वी दर्शितकलाश्री लौकिकनाम : कु.सुरेखा दोशी पिता चंदुलालजी दोशी माता सविताबेन दोशी जन्मस्थान :थराद (गुज.) जन्मतिथि फाल्गुन शुक्ल 2 (दि.१५-२-१९६४, शनिवारदीक्षा वि.सं.२०४३ माघ शुक्ल 3 (दि.१२-१९८ता रविवार आचार्य राष्ट्रसन्त श्रीमद्विजय जयंतसनसरि म.सा. दीक्षागरूसाध्वी शशिकलाश्रीजी म.सा। 'अध्ययनलौकिक एम.ए. (संस्कृत) 'साध्वी डॉ.दर्शितकलाश्रीजी म.सा. आज से 42 साल पूर्व लोवाणा (थराद के पास) में सुपुत्री सुरेखाने माता सवितावेन की प्रथम संतान के रूप में जन्म लिया शालेय शिक्षण अहमदाबाद में ग्रहण करने के पश्चात् वर्तमानाचार्य श्रीमद्विजय जयन्तसेनसूरीश्वरजी म.सा की भवनाशिनी वैराग्यसभर वाणी से वैराग्यवासित होकर श्री धनचन्दसरिजन पाठशाला-थरादाम प्राथमिक धार्मिक ज्ञान प्राप्त कर वैराग्य को परिपक्क किया एवं वि.सं.२०४३ महा सुदि-३, रविवार दि.१-२-८० को आचार्यश्री की आज्ञानवर्सिनी तपस्वीरता पूज्या साध्वीजी भी शशिकलाश्रीजी म.सा.की सुशिष्या के रुपमभागवती प्रवज्या अंगीकार कर सा दर्शितकलाश्री के नाम से त्रिस्तुतिक या संदीवित हुए। दीक्षा के पक्षात सतत जी माल तक बिमिराहण-आसवन शिक्षा ग्रहण करते हुए संस्कृत, प्राकृत एव अनेकानेक धार्मिक दार्शनिक गंया का अस्वास किया अनेकविधतप आराधना की तप के साथ श्रीनवकार मन, श्री गोडीजीपाश्वनाथ परमात्मा एवं दादा गुरुदेवकि इष्ट आराधनापका नित्यक्रम रहा।। गजरात, राजस्थान मेवाड मारवाड) महाराष्ट मध्यप्रदेश आदितीथ स्थानोमें आपने सतत विहार किया। साथ होगुर्वाजा प्राप्त कर एम.ए तक की परीक्षा उत्तीर्ण ही एम.ए.मा सस्कृत-दर्शन गुप प्रथम स्थान प्राप्त करने पर। आपको पं.रामचन्द्र झा शास्त्री स्वर्णपदक से सन्मानित किया। इसके साथ ही आपने सिन्डहेमचन्द्र शब्दानशासना (संज्ञा संधिप्रकरण), हिन्दी व्याख्या, राजेन्द्र चौवीसी का आध्यात्मिक अनुशीलन एवं तत्वार्थसूत्र का दार्शनिक अनुशीलन नामक रचनाएँ की। दादा गुरुदेव की दिव्य असीवृष्टि कृपादृष्टि-वर्तमानाचार्य गुरुदेवनी के पूर्ण आशीर्वाद सतत मार्गदर्शन एवं अपनी गरुवर्याश्री की पावन पेरणा एवं अभा विस्तविक श्रीसंघ का पर्ण सहयोग पायक विश्वकोश' पर शोधकार्य किया। तलनात्मक भाषा एवं संस्कति विमाय देवी अहिल्या निशाना डॉ.हर्षदराय धोलकिया एवं डॉ गजेन्टकमार जैन के निर्देशनम श्री अभिधान राजेन्द्रकोशकोआचारपरक दाशनिक शब्दावली' शीर्षक के अन्तर्गत बहदाकार शोधप्रबन्धनिर्मित किया। इसके अन्तर्गत आपको दि.२७-६-64 को सीएच.डी. की उपाधि प्रदान की। आपके द्वारा अर्जित अभूतपूर्व सफलता के इस स्वर्णिम अवसर पर आपको हार्दिक बधाई देते हुए श्रीसंघ आपके शासन प्रभावना युक्त स्वस्थ दीर्घायु की मंगल कामना करता है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003219
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshitkalashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2006
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy