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________________ [426]... षष्ठ परिच्छेद पसणचन्द पाउक्करण पाओवगमण पाडलिउत्त पाणाइवा वेरमण पामिच्च पारंचिय पावा पास पिवासापरिसह पुंडरीय पुट्टिल पुत्तमंस पुरंदर पुरिसोत्तम पुहवीचंद पूइकम्म पूया ढालपु पोट्टालग फलवयि फासिंदिय बंभदत्त बंभदीविया बंभसेण बंभी वह पहीसह बहप्फइदत्त Jain Education International प्रसन्नचन्द्र प्रादुष्करण पादपोपगमन पाटलिपुत्र प्राणातिपात विरमण प्रामित्य पाराञ्चित पावा पार्श्व पिपासापरिषह पुंडरीक पोट्टिल पुत्रमांस पुरन्दर पुरुषोत्तम पृथ्वीचन्द्र पूतिकर्मन् पूजा पेढालपुत्र पोट्टशालग फलवर्द्धिक स्पर्शनेन्द्रिय ब्रह्मदत्त ब्रह्मदीपिका ब्रह्मसेन ब्राह्मी वध परीषह बृहस्पत्तिदत्त अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन उत्सर्ग से द्रव्य-भाव चारित्र के विषय में प्रसन्नचन्द्र राजर्षि की कथा । प्रादुष्करण दोष के विषय में तीन साधु एवं एक श्राविका की कथा । पादपोपगमन अनशन ग्रहण करनेवाले चिलाति पुत्र, काल प्रदेशी एवं अवंतीसुकुमार की लघु कथाएँ । पाटलिपुत्र (वर्तमान 'पटना' जो बिहार प्रान्त में स्थित है) की उत्पत्ति की कथा । प्राणीवध के गुण-दोष के विषय में कोंकणवासी कुटुम्ब की, श्रावकपुत्र हरि की एवं जितशत्रु राजा और खेमा प्रधान की कथा । दूसरों से उधार लाकर साधु को वहेराने के उत्पन्न क्रीत दोष के विषय में सम्मत साधु एवं सम्मति श्राविका की कथा । सर्ववनाल, मुखानन्तक, उल्लुकाक्ष, शिखरिणी की दृष्टांत कथा तथा पांच चोरों की कथा । - पावापुरी नगरी की उत्पत्ति की कथा एवं आगामी चौबीसी के 24 तीर्थंकर 12 चक्रवर्ती, 9 बलदेव, 9 वासुदेव, 9 प्रतिवासुदेव 63 शलाका पुरुषों का संक्षिप्त वर्णन | श्री पार्श्वनाथ तीर्थंकर का प्राकृत में एवं संस्कृत में गद्यमय चरित्र, श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ की उत्पत्ति की कथा, स्तंभन तीर्थ की कथा एवं श्री पार्श्वनाथ के माहात्म्य का वर्णन । पिपासा परिषह के विषय में धनमित्र और धनशर्मा मुनि की कथा । सूत्रकृतांग-द्वितीय अध्ययन में वर्णित पुण्डरीक (श्वेतवर्ण प्रधान कमल) की साधु हितशिक्षा रुप विस्तृत उपनय कथा एवं अन्यदर्शन के मत-मतान्तरों का खण्डन । प्रियमित्र चक्रवर्ती के प्रवज्याग्रहण एवं उग्र तपस्वी जीवन के तीन भवों की कथा । साधु के आहार ग्रहण के विषय में वणिक और चोरों की उपनय कथा । गुणानुराग के विषय में वाराणसी नगरी के पुरन्दर राजा की कथा । गुणानुराग के विषय में श्रीकृष्ण वासुदेव की कथा एवं शिष्यों के विशिष्ट गुणों के विषय में उपेक्षा या मात्सर्यभाव से होती हानि के विषय में भवदेवसूरि की कथा । राज्यसभा में केवलज्ञान प्राप्त करने वाले राजा पृथ्वीचन्द्र एवं शादी में पाणिग्रहण के समय केवल ज्ञान प्राप्त करने वाले श्रेष्ठिपुत्र गुणसागर की (साले - बहनोई) कथा । पूतिकर्म नामक साधु के आहार दोष के विषय में यक्ष एवं देवशर्मा की उपनय कथा । जिनपूजा से लाभ विषयक चारीसंजीवनीन्याय के दृष्टांत संबंधी स्त्री और उसके बैल बने हुए पति की कथा । श्री पार्श्वनाथ स्वामी के शासन में हुए मुनि पेढाल - पुत्र और गौतम स्वामी की तत्त्वचर्चा की कथा । गोष्ठामाहिल के द्वारा पराजित हुए पोट्टशालक परिव्राजक की कथा । राजस्थान में मेडता के पास फलोधि पार्श्वनाथ तीर्थ की उत्पत्ति की कथा । स्पर्शनेन्द्रिय राग एवं उसके दुष्फल के विषय में जित- शत्रु राजा और सुकुमालिका तथा महेन्द्रराजा पुत्र की कथा । जातिवैर के कारण तिरस्कार एवं कामभोग के लिए नियाण (निदान शल्य) के विषय में ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती और चुलणी माता की कथा । आर्यसमित सूरि की योगशक्ति एवं 500 तापसों की कथा (ब्रह्मदीपिका शाखा की उत्पत्ति की कथा) | पौषधव्रत के माहात्म्य के विषय में ब्रह्मसेन श्रेष्ठी की कथा । माया-कपट से प्राप्त स्त्रीवेद के विषय में ब्राह्मी और सुंदरी के पूर्वभव की कथा । वध परीषह के ऊपर स्कन्धकसूरि के 500 शिष्यों की कथा (दण्डकारण्य की उत्पत्ति की कथा) | बालहत्यारूप हिंसा से नरक गति के विषय में बृहस्पतिदत्त पुरोहित की कथा । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003219
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshitkalashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2006
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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