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________________ [424]... षष्ठ परिच्छेद णंदिसेण णग्गइ नंदिषेण नग्गति णट्ट णमि णमोकार नाट्य नमि नमस्कार नय नरसुन्दर नागिल नागकेतु नागार्जुन णय णरसुंदर णाइल णागकेउ णागज्जुण णारय णासिक्कपुर णिप्पडिकम्मया णियंठिपुत णियट्टि णियाण नारद नासिक्यपुर निष्प्रतिकर्मता निर्ग्रन्थिपुत्र निवृत्ति निदान णिरवलाव तव तवसिद्ध तामली ताराचंद तित्थयर अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन ग्लान मुनि की वैयावृत्य (सेवा) के विषय में नंदिषेणमुनि की कथा। गंधारदेश के राजा प्रत्येकबुद्ध नग्गति की कथा एवं अनित्य भावना के विषय में चित्रकार पुत्री की कथा। भगवान महावीर की नाटक पूजा के विषय में सूर्याभदेव की कथा। एकत्व भावना के विषय में मिथिला के राजा विदेहराज नमिराजर्षि की कथा। नवकार मंत्र एवं पंचपरमेष्ठी को किये गये नमस्कार की फलदर्शक त्रिदण्डी, श्राविका, श्रावक एवं व्यंतर, चंडपिंगल चोर एवं जिनदत्त श्रावक और हुंडक चोर की कथा । प्रस्थक, वसति और प्रदेश की दृष्टांत कथा । संसार की अनित्यता के विषय में नरसुंदर राजा की कथा । साध्वाचार पर सुमति और नागिल की कथा। संवत्सरी महापर्व के अट्ठम तप की महिमा के विषय में नागकेतु की कथा । सिद्धनागार्जुन एवं जैनाचार्य श्री पादलिप्तसूरि की कथा। नारद ऋषि के जन्म की लघुकथा।। नासिक्यपुर की उत्पत्ति की ऐतिहासिक कथा । गुर्वाज्ञा के बिना तप करने से होनेवाले कष्ट के विषय में नागदत्त की कथा । सत्यकी विद्याधर की उत्पत्ति की कथा। प्रतिक्रमण के विषय में धूर्त की दृष्टांत कथा । तप आदि के बदले में या इहलोक-परलोक संबंधी नव प्रकार के निदान करने के विषय में श्रेणिक राजा आदि की कथा। आलोचना दाता के गांभीर्य गुण के विषय में धनमित्र और हठमित्र की कथा। कर्मनाश के विषय में बड़े तालाब की दृष्टांत कथा। दृढ प्रहारी चौर की कथा। मौर्यपुत्र तामली की कथा। सच्चरित्र के विषय में ताराचंद राजा की कथा । जैनों के 24 तीर्थंकरों के पूर्वभव एवं तीर्थंकर के भव की समस्त वार्ताएँ। भगवान महावीर की त्रिपृष्ठ वासुदेव के भव (पूर्वभव) की कथा । इन्द्रियाँ स्वाधीन होने तक में धर्माराधना करने पर तेतलिपुत्र प्रधानमंत्री की कथा । देलवाडा (आबु) मंदिरों के निर्माता वस्तुपाल-तेजपाल की कथा। त्रैराशिक मतोत्पादक रोहगुप्त निह्नव की कथा। श्रीस्तंभनपार्श्वनाथ की कथा। द्रव्यानुयोग के विषय में थावच्चापुत्र की कथा । कामविजेता स्थूलभद्र की कथा। दक्षता के विषय में पांच सार्थवाह पुत्रों की कथा । समभाव के विषय में दमदन्त साधु की कथा। साधर्मी-क्षमापना या संवत्सरी महापर्व-क्षमापना के विषय में राजा उदयन और चंडप्रद्योत की कथा। भावपूर्वक परमात्मा महावीर की सर्वोत्कृष्ट भक्ति के विषय में अंतिम राजर्षि दशार्णभद्र राजा की कथा। सुपात्र दान के विषय में कृतपुण्य की कथा। भाव शुद्धि के विषय में पुंडरीक कण्डरीक की कथा। ममता के त्याग के विषय में द्विमुख नामक द्वितीय प्रत्येक बुद्ध की कथा । गुर्वाज्ञा के अनादर के फल संबंधी द्रौपदी महासती की पूर्व के तीन भव सहित वर्तमान भव की कथा। दूतीपिण्ड के विषय में धनदत्त कुटुम्बी की कथा । दुःख विपाक के विषय में सिंहसेन राजा की कथा। तिविट्ठ निरपलाप तपस् तपःसिद्ध तामली ताराचंद तीर्थंकर त्रिपृष्ठ तेतलिसुत तेजःपाल त्रैराशिक स्तम्भनक थावच्चापुत्र स्थूलभद्र दक्षत्व दमदन्त दशपुर तेतलिसुय तेयपाल तेरासिय थंभणय थावच्चापुत्त थूलभद्द दक्खत्त दमदंत दसउर दसण्णभद्द दशार्णभद्र दाण दुमपत्तय दुमुह दुवई दान दुमपत्रक द्विमुख दौपदी देवदत्ता देवदत्ता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003219
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshitkalashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2006
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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