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________________ [418]... षष्ठ परिच्छेद अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन 1. अभिधान राजेन्द्र अनुस्यूत आचार परक कहानियाँ अंजू अभिधान राजेन्द्र कोश में जिन-जिन शब्दों पर कथा या उपकथाएँ आयी हैं, यहाँ पर वे अकारदि क्रम से सूची के रुप में दी रही है :प्रथम भाग :अइमुत्तय अतिमुक्तक अतिमुक्तकमुनि की कथा अउज्झा अयोध्या (विनीता नगरी) अयोध्या नगरी वर्णन एवं अयोध्या से पार्श्वनाथ आदि चार जिनबिंब देवसहाय से आकाश मार्ग से सेरीसा लाने की कथा । अंगारमद्दग अङ्गारमर्दक अङ्गारमर्दक नामक अभव्य आचार्य की कथा। अञ्जु अञ्जु देवी की दुःखविपाक की कथा। अंड अण्ड ज्ञाताधर्मकथा सूत्रान्तर्गत मयूराण्ड की कथा। अंतरिक्ख पासणाह अन्तरिक्ष पार्श्वनाथाय श्री अन्तरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ की उत्पत्ति की कथा। अंबड अंबड आगामी चौबीसी में होने वाले 22 वें देव नामक तीर्थंकर की आत्मा अंबड परिव्राजक (विद्याधर श्रमणोपासक) की कथा। अक्कूर अक्रूर क्रूर x अक्रूर (श्रावक के गुण संबंधी समरविजय (कीर्तिचन्द्र नरचन्द्र) एवं कीर्तिचन्द राजा की कथा। अक्कोस परिसह आक्रोश परिषह अर्जुनमाली और सुदर्शन सेठ की कथा। अक्खयतइया अक्षयतृतीया आदिनाथ प्रभु के वर्षीतप के पारणा की कथा । अवखयपूया अक्षतपूजा अक्षतपूजा की महिमा संबंधी शुक की कथा। (शुक युगल द्वारा अक्षतों से प्रभु भक्ति की कथा।) अक्खुद्द अक्षुद्र गांभीर्य गुण संबंधी सोमकुमार की कथा। अगडदत्त अगडदत्त 'स्त्रियो' पर विश्वास नहीं करना' - इस विषय पर अगडदत्त राजकुमार की कथा । अगहिलगराय अग्रहिलकराज ग्रहिल-अग्रहिल लोगों की उपनय कथा। अचंकारियभट्टा अचङ्कारितभट्टा मान कषाय का विपाक दर्शानेवाली भट्टा कुमारी की कथा । अचल अचल अचल नामक प्रथम बलदेव की कथा। अज्जगंग आर्यगङ्ग निह्नव आचार्य आर्यगङ्ग की कथा। अज्जचंदणा आर्यचन्दना दासी बनी हुई राजकुमारी वसुमती (अपरनाम चन्दनबाला) ने पाँच मास और पच्चीस दिन के अभिग्रह सहित सतत उपवासधारी श्रमण भगवान् महावीर को उडद के बाकुले से पारणा कराया। वह भगवान की प्रथम शिष्या चंदनबाला की कथा । अज्जमंगु आर्यमङ्गु लोभ और प्रमाद से पतन होता है - इस विषय पर आचार्य मङ्ग के यक्ष बनने की कथा। अज्जमणग आर्यमनक छह माह में आत्मकल्याण करने वाले आचार्य शय्यंभवसूरि के सांसारिक पुत्र मनक मुनि की कथा। अज्जरक्ख आर्यरक्ष व्रतकिरणावलिकार आर्यरक्ष की कथा . अज्जरक्खिय आर्यरक्षित व्रजस्वामी के पास साढेनवपूर्वो का अध्ययन करने वाले तोसलिपुत्र आचार्य के शिष्य आचार्य आर्यरक्षितसूरि की कथा। अज्जव आर्जव (अंगर्षि कथा) प्रत्येक बुद्ध अंगऋषि की कथा। अज्जवइर आर्य वज्र दशपूर्व के ज्ञाता आर्य वज्रस्वामी की कथा। अट्टन अट्टन उज्जयिनी के अट्टन मल्ल की कथा। अट्ठावय अष्टापद अष्टापद तीर्थ की उत्पत्ति की कथा । अट्टिअगाम अस्थिकग्राम अस्थिग्राम के शूलपाणि यक्ष की कथा। अडवि अटवि अरण्य के प्रकार के विषय में धन सार्थवाह की कथा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003219
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshitkalashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2006
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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