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________________ ख. श्रावकपरक शब्दावली 1. 2. 3. पञ्चम परिच्छेद : आचारपरक शब्दावली के वाच्यार्थ का विस्तार श्वेताम्बर परम्परा और जैनाचार 1. 2. दिगम्बर परम्परा और जैनाचार 3. 4. 5. इतर परम्परा और जैनाचार 1. षष्ठ परिच्छेद : आचारपरक शब्दावली में निहित कथाएँ एवं सूक्तियाँ अभिधान राजेन्द्र में अनुस्यूत आचारपरक कहानियाँ 2. अभिधान राजेन्द्र में अनुस्यूत आचारपरक सूक्तियाँ सप्तम परिच्छेद : उपसंहार परिशिष्ट 1. मुनि एवं गृहस्थ के आचार में मौलिक अन्तर श्रावकों के आचार में सापेक्ष स्थूलता 2. 3. Jain Education International श्रावाकाचार की दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन ब्राह्मण परम्परा और जैनाचार बौद्ध परम्परा और जैनाचार अभिधान राजेन्द्र कोश मुद्रित प्रति का प्रथम पृष्ठ एवं अंतिम पृष्ठ त्रिस्तुतिक सिद्धांतोपदेश : शास्त्रीय प्रमाण सहायक सन्दर्भग्रन्थ सूची शोध-योजना का परिणाम: अभिधान राजेन्द्र कोश की आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अनुशीलन करने से उन सभी तथ्यों का स्पष्टीकरण हमें प्राप्त हो सकेगा जो कि जैनों के आचरण की पवित्रता और वैज्ञानिक पद्धति को स्पष्ट करते हैं। इससे उन विधियों का भी स्पष्टीकरण हो जायेगा जौ जैनों की विभिन्न शाखाओं में प्रचलित हैं। यद्यपि अभिधान राजेन्द्र कोश ज्ञानपयोनिधि है। शोध-प्रबंध की सीमा एवं मर्यादा में रहकर मैंने आचारपरक दार्शनिक शब्दावली का अध्ययन एवं अनुशीलन किया, साथ ही कोशकार का एवं कोश का परिचय देने के पश्चात् जिज्ञासुओं के लिए अभिधान राजेन्दर कोश के दार्शनिक आदि अन्य शब्दावलियों के भी आस्वाद दिलाने का प्रयास किया है। यद्यपि शोधप्रबंध की सीमा के कारण विस्तार नहीं हो पाया है। यह शोध-प्रबंध विस्तृत लग रहा है जबकि इसे अतिसंक्षिप्त रखने का प्रयास किया गया है। प्रायः मैने आचारपरक दार्शनिक शब्दावली के सभी मुख्य शब्दों को स्पर्श किया है एवं यथायोग्य स्थान देने का प्रयत्न किया है, फिर भी शोध-प्रबंध की मर्यादा के कारण संक्षेप में संकेत ही किया जा सका है; जिज्ञासुओं के लिये अपनी ज्ञानपिपासा की संतुष्टि हेतु अभिधान राजेन्द्र कोश का मंथन करणीय है तथापि संस्कृतप्राकृत से अनभिज्ञ लोगों के लिए तो सात समुद्रसम राजेन्द्र कोश के आस्वाद हेतु यह अमृतकुंभ है। मैं धन्य हूँ जो मुझे इस शोध-प्रबंध के नाते परम पावन, विश्वपूज्य ज्ञानपयोनिधि गुरुदेव श्री के देदीप्यमान ज्ञानवपुः के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ । ज्ञानपंचमी fa.fi. 2061 बाग (जि. धार) म.प्र. For Private & Personal Use Only • ज्ञानामृतरसास्वादशीला गुरुदेव चरणरेणु साध्वी दर्शितकलाश्री । www.jainelibrary.org
SR No.003219
Book TitleAbhidhan Rajendra Kosh ki Shabdawali ka Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarshitkalashreeji
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year2006
Total Pages524
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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