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________________ आगम शब्द विमर्श सूत्रकृत ३ स्थान ४. समवाय ५. भगवती ६. . ज्ञाताधर्मकथा ७. उपासकदशा ८. अन्तकृद्दशा ९. अनुत्तरौपपातिक १० प्रश्नव्याकरण ११. विपाक और १२. दृष्टिवाद । इनमें ११ अंग ही उपलब्ध हैं, दृष्टिवाद उपलब्ध नहीं है। अंगबाह्य आगम-साहित्य में उपांग, छेद सूत्र, मूलसूत्र एवं चूलिका सूत्र का संग्रहण किया जाता है । उपांग बारह हैं- औपपातिक, राजप्रश्नीय, जीवाभिगम, प्रज्ञापना, सूर्यप्रज्ञप्ति, जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति, चन्द्रप्रज्ञप्ति, कल्पिका, कल्पावतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका एवं वृष्णिदशा । चार छेदसूत्र हैंव्यवहार, बृहत्कल्प, निशीथ और दशाश्रुतस्कन्ध । चार मूलसूत्र हैंदशवैकालिक, उत्तराध्ययन, नन्दी एवं अनुयोगद्वार सूत्र । इस प्रकार ३२ आगम हैं। इनकी संख्या ४५ एवं ८४ तक मानते हैं । संदर्भ ०१. संस्कृत धातुकोष-संपादक युधिष्ठिर मीमांसक, बहालगढ़ सोनीपत, हरियाणा । वि. सं. २०४६, पृ. ३४ ०२. संस्कृत धातुकोष, पृ. ६ ०३. अमरकोश ३.३.२३९, पृ. ४४०, सुधाव्याख्या समुपेत ०४. पाणिनि, अष्टाध्यायी, २.१.१३ ०५. आवश्यक निर्युक्ति, मलयवृत्ति २१, पृ. ४९ ०६. अमरकोश २.८.९५, पृ. २९६ ०७. ईश्वरप्रत्यभिज्ञा विवृत्ति-विमर्शिनी, आचार्य अभिनव गुप्त, पृ. ९७ ०८. रूद्रयामल तन्त्र (वाचस्पत्यम् प्रथम खण्ड, पृ. ६१६ पर देखें पाद टिप्पणी) ०९. स्वच्छन्दोद्योत, पटल ४, पृ. २१४ १०. ईश्वरप्रत्यभिज्ञाविवृत्तिविमर्शिनी, अध्याय २, पृ. ९६ ११. भारतीय दर्शन, बलदेव उपाध्याय, पृ. ६३१ पर उद्धृत १२. योगसूत्र १.७ पर व्यासभाष्य १३. सांख्य सूत्र ११०१ १४. सांख्यकारिका, ५ १५. सांख्यकारिका ५ पर माठरवृत्ति १६. सांख्यकारिका ५ पर १७. न्यायसूत्र १.१.७ १८. नियमसार गाथा ८ १९. नियमसार वृत्ति १.५ २०. धर्मरत्नप्रबोध, स्वोपज्ञवृत्ति, पृत्र. ५७ २१. पंचास्तिकायतात्पर्यवृत्ति १७३.२२५ २२. भगवती आराधना, विजयोदया टीका २३ २३. अनुयोगद्वार चूर्णि पृ. १६ २४. सांख्यकारिका ५ पर माठरवृत्ति २५. तत्त्वार्थभाष्यवृत्ति, सिद्धसेनगणि १.३, पृ. ४० २६. धवलापुराण उत्तरार्थ, पृ. १२३ २७. परीक्षामुख ३.९९, न्यायदीपिका पृ. ११२ २८. आचारसार, वीरनन्टि ३.५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003218
Book TitleJinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2002
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Canon, & Agam
File Size23 MB
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