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| 'आगम' शब्द विमर्श
75 आचार्य परम्परा से वासित होकर आता है, वह आगम है। 6. पूर्वापर अविरुद्धवाणी आगम है
01. पुव्वावरदोसविरहियं अर्थात् पूर्वापर दोषों से जो रहित वाणी है
वह आगम है। 02. पूर्वापरविरोधशंकारहितस्तदालोचनातत्त्वरुचिः आगम उच्यते, अर्थात् पूर्वापर विरोध एवं शंकादि से रहित आलोचना एवं तत्त्वरुचि को
आगम कहते हैं। 03. पूर्वापरविरुद्धादेर्व्यपेतो दोषसंहतेः।
द्योतकः सर्वभावानामाप्तव्याहृतिरागमः ।। ___अर्थात् पूर्वापरविरद्ध दोषसमूह से रहित, सभी भावों का
द्योतक आप्तवचन आगम है। 04. पूर्वापराविरुद्धार्थप्रत्यक्षाद्यैरबाधितम् अर्थात् पूर्वापर अविरुद्ध एवं
प्रत्यक्षादि से अबाधित आगम होता है। 7. हेयोपादेय का प्ररूपक है आगम- संयम जीवन के विकास के लिए या जीवन के उत्कर्ष के लिए कौन-कौनसी वस्तुएं त्याज्य हैं और कौनसी ग्राह्य हैं, इसका निरूपण आगम में किया जाता है।
01. हेयोपादेयरूपेण चतुर्वर्गसमाश्रयात् । कालत्रयगतानान् गमयन्नागमः स्मृतः।।
(उपासकाध्ययन, सोमदेवसूरिकृत) हेय और उपादेय रूप से चार वर्गों का समाश्रयण कर तीनों कालों में विद्यमान पदार्थों का जो निरूपण करता है, वह आगम है।
02. भव्यजनानां हेयोपादेयतत्त्वप्रतिपत्तिहेतुभूतमागमः अर्थात् भव्यजनों के लिए हेय और उपादेय तत्त्वों का प्रतिपत्तिकारक आगम है। 8. निर्वाण और संसार का निरूपक आगम है
यत्र निर्वाण-संसारौ निगद्येते सकारणौ।
सर्वबाधकविनिर्मुक्त आगमोऽसौ ।। अर्थात् जहां पर निर्वाण और संसार की सकारण व्याख्या की जाए और जो सभी बाधक तत्त्वों से विनिर्मुक्त है, वह आगम है। 9. यथार्थ तत्त्वों का निरूपक आगम है
01. आगमनमागमः – आङ् अभिविधिमर्यादार्थत्वात् अभिविधिना मर्यादया
वा गमः परिच्छेद आगम। 10. यथार्थ तत्त्वों का प्रतिपादक आगम
01. आगम्यन्ते परिच्छिद्यन्ते अतीन्द्रिया पदार्थाः अनेनेत्यागमः' अर्थात् जिससे अतीन्द्रिय पदार्थों का यथार्थ ज्ञान हो वह आगम है। 02. आगम्यन्ते मर्यादयाऽवबुध्यन्तेऽर्था अनेन इति आगमः अर्थात् जिससे
मर्यादापूर्वक अर्थ अवबोध(पदार्थ का यथार्थज्ञान) होता है, उसे
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