SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 541
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 1526 जिनवाणी- जैनागम-साहित्य विशेषाङका चौक, जोधपुर में विराजमान हैं। महासती श्री चन्द्रकला जी म.सा. के घाव पूरा भरने के बाद एवं स्वास्थ्य-समाधि के रहते अन्य क्षेत्र फरसने की भावना है। फाल्गुनी चातुर्मासिक पक्खी पश्चात् आचार्यप्रवर के दिशा. निर्देशानुसार व्याख्यात्री महासती श्री रतनकंवर जी म.सा. के विहार की संभावना है। * सेवाभावी महासती श्री संतोषकंवर जी म.सा. आदि ठाणा ४ के फाल्गुनी चौमासी पश्चात् खींवसर से नागौर की ओर विहार संभावित है। * शांतस्वभावी तपस्विनी महासती श्री शांतिकंवर जी म.सा. आदि ठाणा ९ अभी भोपालगढ़ विराजित हैं। नागौर से महासती श्री इन्दुबाला जी म.सा. आदि ठाणा के पुनः भोपालगढ़ पधारने के बाद अलग-अलग संघाड़ों में समीपवर्ती क्षेत्रों में विहार की संभावना है। *व्याख्यात्री महासती श्री तेजकंवर जी म.सा. आदि ठाणा का जामनेर से जलगांव की ओर विहार संभावित है। *विदुषी महासती श्री सुशीलाकंवर जी म.सा. आदि ठाणा के नासिक के आसपास के क्षेत्रों में विहार की संभावना है। * व्याख्यात्री महासती श्री ज्ञानलता जी म.सा. आदि ठाणा के बजरिया से सवाईमाधोपुर आदि पोरवाल क्षेत्र में विहार की संभावना है। * व्याख्यात्री महासती श्री निःशल्यवती जी म.सा. आदि ठाणा के दूणी से कोटा की ओर विहार की संभावना है। * व्याख्यात्री महासती श्री मुक्तिप्रभा जी म.सा. आदि ठाणा भोपालगढ़ से जोधपुर पधारे। अब पाली से मेवाड़ क्षेत्र फरसते हुए मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र की ओर बढ़ें, ऐसी संभावना है। -अरुण मेहता, ___महामंत्री- अ.भा. श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ श्री जैन सिद्धान्त शिक्षण संस्थान, जयपुर में उच्च शिक्षा का सुअवसर एवं निःशुल्क संस्कार निर्माण शिविर श्री जैन सिद्धान्त शिक्षण संस्थान, जयपुर के तत्त्वावधान में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाओं की समाप्ति के पश्चात् एक पंच दिवसीय संस्कार निर्माण शिविर लगाया जायेगा। इस शिविर में इस वर्ष सन् २००२ में कक्षा १० उत्तीर्ण कर कक्षा ११ में प्रवेशार्थी छात्रों को प्रवेश दिया जायेगा। इस शिविर के मुख्य उद्देश्य निम्न हैं:१. जीवन के सर्वांगीण विकास के लिए आधुनिक वैज्ञानिक पद्धति से जीवनोपयोगी तत्त्वज्ञानपूर्वक संस्कार निर्माण के रूप में शिक्षण दिया जायेगा। २. शिविरार्थियों में से इस संस्थान में प्रवेशार्थी छात्रों का चयन किया जायेगा। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003218
Book TitleJinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2002
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Canon, & Agam
File Size23 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy