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मुनि
राजा
मुनि - तो तुम्हारी दादी स्वर्ग के अनुपम सुखों में मग्न है। दुर्गन्ध युक्त मुनष्य लोक जिसकी दुर्गन्ध ९०० योजन तक असर करती है. मे कैसे प्रवेश करेगी ?
राजा
ठीक है। मैं दूसरा प्रश्न पूछता हूँ। एक बार मैंने एक अपराधी के लोहे की कोठी में बंद कर दिया। कोठी चारों ओर से बंद थी थोड़ी देर बाद कोठी खोलकर देखी तो अपराधी की मृत्यु हो चुक थी। मगर उसके शरीर से मैंने जीव को निकलता नहीं देखा। अग जीव अलग है तो वह कोठी से कैसे निकल गया?
मुनि- किसी गुफा का दरवाजा मजबूती से बंद करके कोई आदमी जो से ढोल बजावे तो ढोल की आवाज बाहर आती है या नहीं ? आती है।
जिनवाणी- जैनागम-साहित्य विशेषाङ्क
अगर कोई हरिजन तुम्हें अपनी दुर्गंधमय झोपड़ी में बुलाना चाहे तो क्या तुम जाना पसन्द करोगे ?
आपका यह प्रश्न बड़ा विचित्र है। मैं राजा होकर अपवित्र दुर्गंधमय झोपड़ी में कैसे पैर रख सकता हूँ ।
राजा
मुनि- इसी प्रकार देह रूपी गुफा में से जीव निकल जाता है, पर वह दृष्टिगोचर नहीं होता । परम ज्ञानी महात्मा ही अपने दिव्य ज्ञान से उसे जान-देख सकते हैं। (जीव अरूपी होने से इन्द्रियग्राह्य नहीं है) राजा- मैंने एक चोर को प्राणरहित करके एक कोठी में बंद करवा दिया कोठी अच्छी तरह बंद थी। बहुत दिनों बाद कोठी को उघाड़क देखा तो उस पुरुष के शरीर में असंख्य कृमि व्याप्त थे। बंद कोर्ट
मुनि
कृमि कैसे घुसे ?
जिस प्रकार लोहे के ठोस गोले को आग में तपाया जाय तो उसमें चारों ओर जिस प्रकार अग्नि प्रवेश करती है, उसी प्रकार बंद कोठी में चोर के शरीर में जीव प्रवेश कर कीट रूप में उत्पन्न हुए राजा - जीव सदा एक सरीखा रहता है या छोटा-बड़ा, कम-ज्यादा होत
है ?
मुनि
मुनि- जीवात्मा स्वयं सदैव एक सा रहता है 1
राजा
राजा
ऐसा है तो जवान आदमी के हाथ से एक साथ पाँच बाण छू सकते हैं, उसी प्रकार वृद्ध आदमी के हाथ से पाँच बाण क्यों नह छूट सकते हैं?
युवा व्यक्ति भी नवीन धनुष से पाँच बाण छोड़ने में समर्थ है लेकिन उसे पुराना धनुष दें तो वह पाँच बाण छोड़ने में असम होगा। वैसे ही युवा एवं वृद्ध आदमी के संबंध में जानना चाहिए। युवा आदि जितना भार उठा सकता है, उतना वृद्ध व्यक्ति क्यं नहीं उठा सकता
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