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________________ विभिन्न जैन सम्प्रदायों में मान्य आगम 6 छेदसूत्र स्थानकवासी एवं तेरापंथ परम्परा में मान्य ४ छेदसूत्र तो समान ही हैं, अन्य २ छेदसूत्र हैं ५. महानिशीथ (महानिसीह) ६ 1. जीतकल्प (जीयकप्प) १. चतु: शरण (चउसरण) २. आतुरप्रत्याख्यान (आउरपच्चक्खाण) ३. भक्तपरिज्ञा (भत्तपरिण्णा) ४. संस्तारक (संथारय) ५. तंदुल वैचारिक (तंडुलवेयालिय) ६. चन्द्रवेध्यक (चंदवेज्झय) ७. देवेन्द्रस्तव (देविंदत्थय) ८. गणिविद्या (गणिविज्जा) ९. महाप्रत्याख्यान (महापच्चक्खाण) १०. वीरस्तव ( वीरत्थय) नोट- कहीं कहीं पर वीरस्तव के स्थान पर इस गणना में मरणविधि का नाम लिया जाता है। 2 चूलिका सूत्र १. नन्दीसूत्र २. अनुयोगद्वार ८४ आगम (श्वेताम्बर मूर्तिपूजक परम्परा में मान्य) पूर्वोक्त ४५ आगम + २० अन्य प्रकीर्णक सूत्र + १० नियुक्तियाँ + ९ अन्य ग्रन्थ = ८४ आगम । 10 प्रकीर्णक सूत्र 20 अन्य प्रकीर्णक ( उपर्युक्त 10 प्रकीर्णकों को मिलाकर 30 १. ऋषिभाषित ३. गच्छाचार ५. तित्थोगालिय ७. द्वीपसागरप्रज्ञप्ति ९. अंगविद्या ११. सारावली १३. पिण्डविशुद्धि १५. योनिप्राभृत १७. बंगचूलिका १९. जम्बूपयन्ना Jain Education International प्रकीर्णक मान्य) 1 २. अजीवकल्प ४. मरणसमाधि ६. आराधनापताका ८. ज्योतिष्करण्डक १०. सिद्धप्राभृत . जीवविभक्ति पर्यन्त-आराधना १२. १४. १६. अंगचूलिका १८. वृद्धचतुः शरण २०. कल्पसूत्र For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003218
Book TitleJinvani Special issue on Jain Agam April 2002
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmchand Jain
PublisherSamyag Gyan Pracharak Mandal
Publication Year2002
Total Pages544
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Canon, & Agam
File Size23 MB
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