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अवबाध-२४
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की दिशा में प्रस्थान करना। तपस्या शरीर को कष्ट देना नहीं है, न ही इन्द्रियों को क्षीण करना है। तपस्या केवल मौन रहना और मन को मूढ करना भी नहीं है। तपस्या है-शरीर, इन्द्रिय, वाणी और मन को समाहित करना। तपस्या है-आत्मोपलब्धि तथा आत्मा की उज्ज्वलता। तपस्या है-ऊर्जा की ऊर्ध्वयात्रा, ऊर्जा का संचय।। तपस्या है-कर्मनिर्जरण की दिशा में प्रयाण, मोक्षाभिमुख होने का अभियान।
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