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अवबोध-१९
१८५ भवभ्रमण का क्लेश मिटता है। सज्जन व्यक्ति के पास दूसरा व्यक्ति सदा शान्ति और अभय का अनुभव करता है। दुर्जन व्यक्ति लाख प्रयत्न करने पर भी अपनी कटिलता अथवा दुष्टता को नहीं छोड़ता। उसकी सन्निधि में रहने वाला व्यक्ति प्रायः भय का अनुभव करता है। सौजन्य सहज कृशता के समान है। उसका विपाक भविष्य में सरस होता है। दुर्जनता शोथ से उत्पन्न स्थूलता के समान है। उसका विपाक भविष्य में विरस होता है। सज्जन व्यक्तियों की संगत करना अथवा सुजनता का समाचरण करना मोक्षपथ पाने का सहज और सुगम उपाय है।
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