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अवबोध- १४
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अपरिग्रह की साधना तनावमुक्त जीवन जीने की कला है।
परिग्रह - परिष्कार से मनुष्य को अनिद्रा, रक्तचाप, असमय में हार्ट ट्रबल, भय आदि तनावों तथा बिमारियों से मुक्ति मिलती है।
परिग्रह का मूल असन्तोष है। अपरिग्रह का मूल सन्तोष है। व्यक्ति व्यक्ति द्वारा परिग्रह का अल्पीकरण और इच्छाओं का सीमाकरण ही शोषणमुक्त, विषमतारहित और स्वस्थ समाज की संरचना कर सकता है।
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