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अवबोध-५
१०१
९. परिग्रह का त्याग
१६. इन्द्रिय-दमन १०. क्रोध का त्याग
१७. लक्ष्मी का स्वभाव ११. मान का त्याग
१८. सुपात्र दान १२. माया का त्याग
१९. तप का आचरण १३. लोभ का त्याग
२०. भावना का अभ्यास १४. सौजन्य का आचरण २१. वैराग्य का आचरण १५. गुणिजनों की संगति
कृतिकार ने प्रस्तुत श्लोक में बीस प्रकरणों का नामोल्लेख किया है, किन्तु ग्रन्थ में इक्कीस प्रकरणों का प्रतिपादन हुआ है। श्लोक में सतरहवें प्रकरण में 'लक्ष्मीस्वभाव' का नाम नहीं है।
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