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the modern village of vasukunda. Siddhartha was living here. He was married to Trishala, sister of Chetaka, the Licchavi Republican president, Mahavira or Vardhamana was born to them at this place.
सन् 1952 ई. 'आठवें वैशाली-महोत्सव' के अवसर पर श्री कन्हैयालाल मानिकलाल मुंशी के शब्दों में :- "Vaisali was not merely the home of wealth, power and beauty, it was also rich in the learning and high aspirations. Here in Kundagrama a Suburb of Vaisali, was born Vardhmana Mahavira, the founder of Jainism. He spent twelve rainy seasons of his ascetic life here.'
___Mahavira was the son of Siddhartha, a wealthy noble-man of Vaisali. His mother Trishala was the sister of Vaisali's chief Chetaka. - वैशाली को 'धर्म और विद्या का तीर्थ' मानते हुये सन् 1953 ई. में पं. सुखलाल जी संघवी. ने 'नवें वैशाली-महोत्सव' में कहा था कि दीर्घतपस्वी महावीर की जन्मभूमि और तथागत बुद्ध की उपदेशभूमि होने के कारण वैशाली विदेह' का प्रधान नगर रहा है। यह केवल जैनों और बौद्धों का नहीं, अपितु मानवजाति का एक तीर्थ बन गया है।
सन् 1955 ई. में “ग्यारहवें वैशाली-महोत्सव' में अपने विचार व्यक्त करते हुए डॉ. हीरालाल जैन ने कहा कि वैशाली वह भूमि है, जिसने महावीर जैसे महापुरुष को जन्म दिया। ढाई हजार वर्ष पहले वैशाली एक वैभवशाली राजधानी के रूप में प्रतिष्ठित थी। वैशाली का एक भाग ‘कुण्डपुर' या 'क्षत्रियकुण्ड' कहलाता था, जहाँ के राजभवन में राजा सिद्धार्थ अपनी रानी त्रिशला के साथ धर्म और न्यायपूर्वक शासन करते थे। रानी त्रिशला की कुक्षि से वर्द्धमान महावीर का जन्म हुआ, जिसका पालन-पोषण राजकुमार के अनुरूप हुआ।
23 अप्रैल, 1956 ई. को भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने कहा था--- वैशाली लिच्छिवियों और वृज्जियों के गणराज्य की राजधानी थी। इसके अतिरिक्त वैशाली भगवान् महावीर की जन्मभूमि है जो भगवान् बुद्ध को भी बहुत प्रिय थी। __ सन् 1956 ई. में ही 'बारहवें वैशाली-महोत्सव' के अन्तर्गत डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल के शब्दों में वैशाली नामक पवित्र राजधानी भारत के सांस्कृतिक और राजनीतिक इतिहास में चिरविश्रुत है। यहीं लिच्छवि गणराज्य ने मानव की व्यक्तित्व-गरिमा, समता और स्वतन्त्रता के महत्त्वपूर्ण प्रयोग किये और इसी के समीप कुण्डग्राम में जन्म लेकर ज्ञातवंशीय भगवान् महावीर ने मानव को चिरप्रतिष्ठा प्राप्त करानेवाले उस महान् बुद्धि-परायण एवं साधनाप्रधान धर्म का उपदेश दिया था। ___ इसी अवसर पर 23 अप्रैल, 1956 को अध्यक्षीय भाषण में अपने विचार प्रकट करते हए तत्कालीन राज्यपाल महामहिम श्रीरंगनाथ रामचन्द्र दिवाकर ने कहा था— “वैशाली नाम में जादू का असर है। इसी क्षेत्र का 'वासुकुण्ड' अन्तिम जैन तीर्थंकर वर्द्धमान महावीर का जन्मस्थान है। वे जैनधर्म के संस्थापक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। लगभग दो हजार वर्षों से अधिक
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प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक For Private & Personal Use Only
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