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________________ आता। लछुआड़-क्षत्रियकुण्ड स्थित धर्मस्थल दो समानान्तर पहाड़ियों के मध्य स्थित है। बासोकुण्ड (वैशाली-स्थित), जिसकी पहचान भगवान् महावीर के जन्मस्थान कुण्डग्राम से की जाती है, के समीप कोई पहाड़ी अथवा पर्वत नहीं है। स्थानीय परम्परा भी वासुकुण्ड को भगवान् महावीर की जन्मभूमि मानती आयी है। वैशाली में सम्पन्न पुरातत्त्व-कार्य, भले ही उसका उद्देश्य भगवान् बुद्ध और उनके जीवन से जुड़ी घटनाओं के स्थान की पहचान एवं खोज रहा, से जुड़े पुरातत्त्ववेत्ताओं ने कभी वैशाली को भगवान् महावीर की जन्मस्थली होने से इनकार नहीं किया। भारतीय पुरातत्त्व के पुरोधा कनिंघम ने 'आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया रिपोर्ट (अंक I, एवं XVI) में यह सम्भावना व्यक्त की है कि 'मर्कट-हद सरोवर' (वर्तमान अभिषेक-पुष्करिणी) के पार्श्व में स्थित 'कूटागार-सभाकक्ष' का भगवान् महावीर के जन्मस्थान 'कुण्डग्राम' से कोई सम्बन्ध हो सकता है। कनिंघम ने अपनी पुस्तक 'एनशियेण्ट ज्योग्राफी ऑफ इण्डिया' (प.717) में प्राचीन वैशाली की पहचान वर्तमान वैशाली जिले (तत्कालीन मुजफ्फरपुर जिला) के 'बसाढ़' क्षेत्र से की है। थियोडर ब्लॉक (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया, एनुअल रिपोर्ट, 1903-1904,प्र. 81-122) ने बसाढ़ के उत्खनन के सम्बन्ध में विवरण प्रस्तुत करते हुए लिखा है कि महावीर वसालिय' कहे जाने के कारण वैशाली के मूलवासी थे और उनका जन्मस्थान 'कुण्डग्राम' विदेह में स्थित था। विदेह और तीरभुक्ति एक-दूसरे के पर्याय हैं और जब तिरहुत की सीमा के अन्दर वैशाली नामक स्थान है, तब इसे ही भगवान् महावीर का जन्मस्थल-क्षेत्र होना चाहिए। डी.बी. स्पूनर (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया, एनुअल रिपोर्ट, 1913-14, पृ. 98185) ने भी वैशाली की पहचान वर्तमान बसाढ़ क्षेत्र से की है और इस क्षेत्र को ही भगवान् महावीर की जन्मभूमि बताया है। वी.पी. सिन्हा और सीताराम राय (वैशाली एक्शकेवेशन्स, 1958-62) ने भी प्राचीन वैशाली की पहचान वर्तमान बसाढ क्षेत्र से की है और इसे भगवान् महावीर से सम्बद्ध बताया है। __इतिहासकारों के यूरोपीय एवं भारतीय दोनों समूहों के अधिसंख्य वैशाली को ही भगवान् महावीर का जन्मस्थान बताते हैं। इस सम्बन्ध में कुछ विचार इसप्रकार हैं : हर्मन जैकोबी (सैकरेड बुक ऑफ दी ईस्ट', जैन सूत्राज, अंक -22, खण्ड-1, एवं अंक-45, खंड-2) 'इनसाइक्लोपीडया ऑफ रिलीजन एण्ड अथिक्स', अंक-7, पृ. 466) ने लिखा है कि श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों सम्प्रदायवाले महावीर को कुण्डग्राम अथवा कुण्डपुर के राजा सिद्धार्थ का पुत्र मानते हैं। बौद्ध एवं जैनग्रन्थों में उपलब्ध संकेतों की पड़ताल कर बहुत हद तक वर्द्धमान महावीर का जन्मस्थान निश्चित किया जा सकता है। बौद्ध-ग्रन्थ 'महावग्ग' में कहा गया है कि कोटिग्राम में अल्पकालिक वास के पश्चात् भगवान बुद्ध जातिकों के निवास की ओर गये, जहाँ उन्हें जातिकों के सभाकक्ष में ठहराया गया। वहाँ से वह वैशाली प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक Jain Education International For Private & Personal Use Only 40 41 www.jainelibrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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