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________________ कूलग्राम ___. 3. भगवान् की दीक्षा के दूसरे दिन कोल्लाकसंनिवेश में पारणा करने का उल्लेख है। जैन सूत्रों के अनुसार कोल्लाकसंनिवेश दो थे - एक वाणिज्यगांव के निकट और दूसरा राजगृह के समीप । यदि भगवान् का जन्मस्थान आजकल का क्षत्रियकुण्ड होता, तो दूसरे दिन कोल्लाक में पारणा होना असम्भव था, क्योंकि राजगृहवाला कोल्लाकसंनिवेश वहाँ से कोई चालीस मील दूर पश्चिम में पड़ता था और वाणिज्यग्रामवाला कोल्लाक इससे भी बहुत दूर। इससे यही मानना तर्कसंगत होगा कि भगवान् ने वैशाली के निकटवर्ती क्षत्रियकुण्ड के ज्ञातृखण्ड-वन में प्रव्रज्या ली और दूसरे दिन वाणिज्यग्राम के समीपवर्ती कूलग्राम में बकूल राजा के यहाँ कोल्लाक में पारणा की। 4. क्षत्रियकुण्ड में दीक्षा लेकर भगवान् ने कारग्राम, केल्लाकसंनिवेश आदि में विचर कर अस्थिकग्राम में वर्षा-चातुर्मास के बाद भी मोराक, वाचाला, कनकखल, आश्रमपद और श्वेतविका आदि स्थानों में विचरण के उपरान्त राजगृह की तरफ प्रवास किया और दूसरा वर्षावास राजगृह में किया था। उक्त विहार-वर्णन में दो मुद्दे ऐसे हैं, जो आधुनिक-क्षत्रियकुण्ड असली-क्षत्रियकुण्ड नहीं है, ऐसा सिद्ध करते हैं। एक तो भगवान् प्रथम चातुर्मास के बाद श्वेताविका नगरी की तरफ जाते हैं और दूसरा यह कि उधर विहार करने के बाद आप गंगा नदी उतरकर राजगृह जाते हैं। श्वेताविका श्रावस्ती से कपिलवस्तु की तरफ जाते समय मार्ग में पड़ती थी। यह भमि-प्रदेश कौशल के पूर्वोत्तर में और विदेह के पश्चिम में पड़ता था और वहाँ से राजगह की तरफ जाते समय बीच में गंगा पार करनी पड़ती थी, यह भी निश्चित है। आधुनिक क्षत्रियकुण्डपुर के माघ मास में तो श्वेताविका नगरी थी और न उधर से राजगह जाते समय गंगा ही पार करनी पड़ती थी। इससे ज्ञात होता है कि भगवान् की जन्मभूमि आधुनिक क्षत्रियकुण्ड जो आजकल पूर्व बिहार में गिद्धौर-स्टेट में और पूर्वकालीन प्रादेशिक सीमानुसार 'अंग देश' में पड़ता है, नहीं हैं, किन्तु गंगा से उत्तर की ओर उत्तर-बिहार में कहीं थी और वह स्थान पूर्वोक्त प्रमाणों के अनुसार वैशाली' के निकटवर्ती क्षत्रिय-कुण्ड' ही हो सकता — (जैन सिद्धांत भास्कर, 10/2, सन् 1943, पृ. 63-65, उद्धृत, पं. के. भुजबली शास्त्री, भगवान् महावीर की जन्मभूमि) स्व. आचार्य विजयेन्द्रसूरि ने अपनी पुस्तक वैशाली' में भगवान् महावीर के जन्मस्थान के विषय में जो निष्कर्ष निकाले, वे यथावत् रूप में इसप्रकार हैं__“अब हम संक्षेप में इस परिणाम पर पहुँचते हैं :1. आधुनिक स्थान जिसे क्षत्रियकुण्ड कहा जाता है और जिसे लिच्छुआड़ के पास बताया - जाता है, मुंगेर जिला के अन्तर्गत है, महाभारत में इस प्रदेश को एक स्वतंत्र राज्य 00 34 प्राकृतविद्या जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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