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________________ महावीर की जन्मभूमि : जैन साहित्य के सन्दर्भ में . -डॉ. योगेन्द्र मिश्र भगवान् माहवीर की जन्मभूमि के सम्बन्ध में विद्वानों में कोई मतभेद नहीं है। उन्हें । पता है और उनकी मान्यता है कि “भगवान् महावीर ज्ञातृकुल में, वैशाली में, समीप के कुण्डपुर अथवा क्षत्रियकुण्डपुर (आधुनिक बासोकुण्ड) में उत्पन्न हुये थे।" गड़बड़ी कुछ अन्य लोगों की मान्यता के कारण होती है। कुछ श्वेताम्बर-जैनों की मान्यता है कि महावीर की जन्मभूमि मुंगेर' जिले के 'जमुई' अनुमण्डल के 'सिकन्दरा' थाने के लछुआड़' नामक स्थान पर दक्षिण की ओर स्थित 'क्षत्रियकुण्ड' है। कुछ दिगम्बर जैन मानते हैं कि यह स्थान नालन्दा के समीप कुण्डलपुर है, अथवा यह भी कि वह स्थान दमोह जिले (मध्यप्रदेश) का कुण्डलपुर है। किन्तु जन्मभूमि तो आखिर कहीं एक ही जगह होगी। __ वैशाली पर लिखे अपने शोध-प्रबन्ध एन अर्ली हिस्ट्री ऑफ वैशाली' (दिल्ली, 1962 ई.) में हमने पृष्ठ 212-237 पर भगवान् महावीर की जन्मभूमि वैशाली पर यथासम्भव कुछ सामग्री प्रस्तुत की है। वहाँ पृष्ठ 226-27 पर, हमने प्राचीन जैन साहित्य से जन्मभूमि-विषयक नौ उद्धरणों का भी संकलन कर दिया है। भगवान् महावीर की वास्तविक जन्मभूमि जानने के लिए प्राचीन जैन-साहित्य में आये तत्सम्बन्धी-प्रसंगों एवं उसके उद्धरणों का विश्लेषण सबसे अधिक उपयोगी होगा। अतएव हम यहाँ इसी पर अपना ध्यान केन्द्रित करेंगे। ____ जन्मभूमि के सम्बन्ध में संकलित उपर्युक्त नौ उद्धरणों में जन्मभूमि की स्थिति जम्बूद्वीप के भारत/भारतवर्ष नामक देश के 'मज्झिमदेश' (सं. मध्यदेश) नामक भाग में बतलाई गई है, वहाँ यह विदेह' में 'कुण्डपुर' में स्थित है। मध्यदेश तक तो कोई विवाद है भी नहीं, 'कुण्डपुर' या 'कुण्डलपुर' या 'कुण्डग्राम' नाम में भी विवाद नहीं है (कहीं-कहीं कुण्ड के बदले कुण्डल डाला रहता है)। विवाद केवल इसमें है कि भगवान् महावीर की जन्मभूमि 'विदेह' में (गंगा के उत्तर) है या मगध/अंग में (गंगा के दक्षिण) है। अतएव हम आगे इसी पक्ष पर विशेष ध्यान देंगे। हमारे पास उपलब्ध नौ उद्धरणों में से पाँच में जन्मभूमि के विदेह में होने की स्पष्ट चर्चा है (रचनाकारों के नाम कालसहित कोष्ठों में दिये गये हैं।) :___ 1. भारतवास्ये 'विदेहकुण्डपुरे (पूज्यपाद रचित 'दशभक्ति', विक्रम की पाँचवी प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक 00 21 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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