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________________ है, जबकि महावीर की जन्मभूमि की पहिचान विदेहप्रान्त' है। सन् 1965 में धर्मानुरागी श्रेष्ठिवर्य्य श्री गुलाबचन्द हिराचन्द दोशी द्वारा जैन संस्कृति संघ, सोलापुर से प्रकाशित 'तीर्थवन्दनसंग्रह' नामक कृति के पृष्ठ संख्या 63-64 में मगध देश का और उसके अन्तर्गत आनेवाले नगर आदि का वर्णन दिया गया है। इसके रचयिता सन् 1578 से 1620 के मध्यवर्ती भट्टारक श्रीभूषण हैं, जो कि श्री ज्ञानसागर के गुरु थे। इसमें लिखा है कि - मागध देश विशाल नयर पावापुर जाणो। जिनवर श्रीमहावीर तास निर्वाण बखाणो।। अभिनव एक तलाब तस मध्ये जिनमंदिर। रचना रचित विचित्र सेवक जास पुरंदर ।। जिनवर श्रीमहावीर तिहाँ कर्म हणि मोक्षे गया। ब्रह्म ज्ञानसागर वदति सिद्ध तM पद पामया।। 5 ।।..... मगध देश मझार नयर राजगृह चंगह। . विपुलाचल गिरिसार शिखर तस पंच उतंगह ।। समवसरण संयुक्त वर्धमान जिन आया। सुर नर किन्नर भूप सकल संघ मन भाया। विविध प्रकार के जिनवरे श्रेणिक नृप प्रतिबोधियो। मिथ्यामत दूरे करी कर्म हणी मोक्षे गयो।। 7।। मगध देश मंडान नयर पाडलिपुर थानह । शीलवंत सुविचार सेठ सुदर्शन जाणह ।। दृढकर संयम ग्रह्यो तपकरि कर्म विनाश्यो । प्रकट्यो केवलज्ञान लोकालोक प्रकाश्यो ।। शूलि सिंहासन थयो जय जय जगमाँ नीपनो। ब्रह्म ज्ञानसागर वदति अखय अचल सुख ऊपनो।।8।। इसमें भी मगधदेश के वर्णन-प्रसंग में महावीर के युग के तीन प्रमुख नगरों का उल्लेख किया है, वे हैं— पावापुर, राजगृह एवं पाटलिपुत्र । इनमें से पावापुर और राजगृह —ये दोनों महावीर से संबद्ध रहे हैं, जबकि पाटलिपुत्र का सुदर्शन सेठ से संबंध बताया गया है। यदि मगधप्रान्त में कुण्डपुर' या कुण्डलपुर' नाम से विख्यात भगवान् महावीर की जन्मभूमि होती, तो इस ग्रन्थ के कर्ता अवश्य उसका नामोल्लेख करते। इससे भी यह बात पुष्ट होती है कि महावीर की जन्मभूमि 'विदेहप्रान्त' में ही थी, 'मगधप्रान्त' में नहीं। जबकि आज प्रचारित किया जा रहा नालन्दा के निकटवर्ती बड़गाँव अपरनाम कुण्डलपुर उस समय भी मगधप्रान्त में था, और आज भी इसकी स्थिति समस्त इतिहासकार एवं भूगोलवेत्ता मगधप्रान्त में ही मानते हैं। चूँकि आज प्राचीन तीन राज्यों— अंगदेश, विदेहप्रान्त एवं मगधप्रान्त को प्राकृतविद्या जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक 00 19 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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