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इस अंक के लेखक-लेखिकायें 1.आचार्य मल्लिषेण—आप अनेकों जैनग्रन्थों के लेखक सुप्रतिष्ठित प्राचीन आचार्य-परम्परा के श्रमण-रत्न थे। इस अंक में मंगलाचरण के रूप में प्रकाशित 'श्री वाग्देवी स्तोत्र' आपकी पुण्य-लेखनी से प्रसूत है।
2. (स्व०) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी—भारतीय संस्कृति एवं हिन्दी-साहित्य जगत् के शिरोमणि मनीषियों में अग्रगण्य डॉ० द्विवेदी जी की पुष्पलेखनी से प्रसूत 'भगवान् महावीर की जन्मभूमि वैशाली की महिमा' नामक विशिष्ट आलेख इस अंक का अलंकरण है।
3. आचार्य चतुरसेन शास्त्री—हिन्दी साहित्य के सुप्रतिष्ठित और बहुप्रसिद्ध हस्ताक्षर के रूप में आप जाने जाते हैं। अनेकों उपन्यास और कहानियाँ आपकी लेखनी के द्वारा प्रसूत होकर जन-जन में प्रचलित हैं। आपके लेखन का विषय भारत के ऐतिहासिक-चरित्र प्रमुखता से रहे हैं। इस अंक में प्रकाशित वैशाली' शीर्षक-आलेख आपके द्वारा लिखित हैं।
4. मधुसूदन नरहर देशपाण्डे—भारतीय इतिहास, दर्शन एवं साहित्य के सुप्रतिष्ठित हस्ताक्षर के रूप में जाने-माने विद्वान् देशपाण्डे जी की ख्याति विश्वभर में रही है। आपने अपनी निष्पक्ष और प्रामाणिक लेखनी से देश-विदेश में भारतीय इतिहास और संस्कृति के अछूते पक्षों को प्रभावी-रीति से उजागर किया है। इस अंक में प्रकाशित 'जैनधर्म की परम्परा और तीर्थंकर ऋषभदेव' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है।
5. शांताराम भालचन्द्र देव-आप भारतीय इतिहास और पुरातत्त्व के जाने-माने विद्वान् रहे हैं। जैनधर्म को महावीर से प्रारम्भ कहनेवालों के प्रति आप खासे सजग रहते थे, और जैनधर्म की सुदीर्घ अतिप्राचीन परम्परा को आपने अनेकों बार प्रामाणिकरूप से अपनी लेखनी के द्वारा बताया है। इस अंक में प्रकाशित 'जैनधर्म का प्रसार' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है।
6. (स्व.) डॉ. बलदेव उपाध्याय-संस्कृत-साहित्य के बीसवीं शताब्दी के स्वनामधन्य लेखकों में वरिष्ठतम रहे डॉ. बलदेव उपाध्याय बहुश्रुत विद्वान् थे। इस अंक में प्रकाशित 'भगवान् महावीर : वैशाली की दिव्यभूति' शीर्षक-आलेख आपकी लेखनी से प्रसूत है।
7. पं. जुगलकिशोर मुख्तार—'युगवीर' के उपनाम से सुविख्यात तथा मेरी भावना' नामक कविता से जैनसमाज में प्रतिष्ठा प्राप्त आप जैनदर्शन, इतिहास और संस्कृति के सुप्रतिष्ठित विद्वान् थे। इस अंक में प्रकाशित 'महावीर-वाणी' नामक हिन्दी कविता आपके द्वारा रचित है।
8. पं. नाथूलाल जी शास्त्री—आप संपूर्ण भारतवर्ष में जैनविद्या के, विशेषत: प्रतिष्ठाविधान एवं संस्कार के क्षेत्र में सर्वाधिक प्रतिष्ठित वयोवृद्ध विद्वान् हैं। आपने देश भर के अनेकों महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों का दिग्दर्शन किया है तथा सामाजिक शिक्षण के कार्य में आपका अन्यतम
प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक
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