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________________ भगवान् महावीर के समय की एक प्राचीन मुद्रा (सील) वैशाली के उत्खनन में पुरातत्त्व-विभाग के अनुसंधताओं को प्राप्त हुई है, जिसमें उत्कीर्ण है— वेसालीनामकुंडे कुमारामात्याधिकरण (स्य)। इसका अर्थ है वैशाली नामक कुण्डग्राम में कुमारामात्य के अधिकरण। इस पुरातात्त्विक प्रमाण के अतिरिक्त पाँचवीं शताब्दी के प्रख्यात जैनाचार्य पूज्यपाद देवनन्दि द्वारा विरचित 'दशभक्ति-संग्रह' में निर्वाण-भक्ति (4) में उल्लिखित है'भारतवास्ये विदेह-कुण्डपुरे' । इसमें भी विदेह-प्रान्त में कुण्डपुर का होना स्पष्ट सिद्ध होता है। इस विदेह-प्रान्त की महिमा का वर्णन करते हुये आचार्य जिनसेन हरिवंशपुराण' में लिखते हैं- 'अथ देशोस्ति विस्तारी जम्बूद्वीपस्य भारते। विदेह इति विख्यात: स्वर्गखण्डसम: श्रिया।।। अर्थ :-- इस जम्बूद्वीप के भरतक्षेत्र में लक्ष्मी से स्वर्ग-खण्ड की तुलना करनेवाला, 'विदेह' इस नाम से प्रसिद्ध एक बड़ा विस्तृत देश है। 'सुखाम्भ:कुण्डमाभाति नाम्ना कुण्डपुरं पुरम् ।। अर्थ :- उस विदेह देश में सुखरूपी जल के कुण्ड के समान प्रतीत होनेवाला 'कुण्डपुर' नाम का एक ऐसा सुन्दर नगर है। 'विदेहविषये कुण्डसज्ञायां पुरि भूपति: । नाथो नाथकुलस्यैक: सिद्धार्थाख्यस्त्रिसिद्धिभाक् । तस्य पुण्यानुभावेन प्रियासीत्प्रियकारिणी।।23 अर्थ :- विदेह-देश के कुण्डपुर में नाथवंश के शिरोमणि एवं तीनों सिद्धियों से सम्पन्न राजा सिद्धार्थ राज्य करते थे। पुण्य के प्रभाव से प्रियकारिणी त्रिशला उन्हीं की गृहलक्ष्मी (धर्मपत्नी) हुई थी। __ इस कुण्डपुर में ही राजा सिद्धार्थ की पत्नी प्रियकारिणी त्रिशला की कुक्षि में भगवान् महावीर बालक वर्धमान के रूप में जन्मे थे। इस कुण्डपुर के बारे में आचार्य देशभूषण जी मुनिराज का अभिप्राय था “उस समय कुण्डग्राम वैशाली नगरी में सम्मिलित था।"24 इसलिये महावीर को जनपद विदेह की दृष्टि से 'वैदेह' कहा गया और कुण्डग्राम वैशाली का • एक उपनगर था, इसलिये उन्हें वैशालिक' कहा गया। इसकी पुष्टि प्रख्यात विद्वान् डॉ. नेमिचन्द्र शास्त्री के इस वाक्य से भी होती है “अभिषेक के पश्चात् इन्द्र उन्हें वैशाली के राजमार्गों से कुण्डग्राम लाया और इन्द्राणी ने पूर्ववत् प्रसूतिगृह में जाकर शिशु वर्धमान को माता प्रियकारिणी के बगल में सुला दिया।"25 _____ महावीर के समय में गंगा के दक्षिणवर्ती-प्रान्त मगध में कुछ लोग 'कुण्डलपुर' की कल्पना कर उसमें महावीर के जन्म की बातें करते हैं, वे संभवत: इतिहास के इस तथ्य को नहीं जानते कि गंगा के दक्षिणवर्ती मनध-प्रान्त में उस समय बिम्बसार श्रेणिक का शासन था। अत: वहाँ पर राजा सिद्धार्थ का शासन होना और उनके घर महावीर का जन्म होना 00 14 प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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