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________________ विदेह उत्तरी-बिहार का प्राचीन-जनपद, जिसकी राजधानी 'मिथिला' थी। स्थूलरूप से इसकी स्थिति वर्तमान 'तिरहुत' के क्षेत्र में मानी जा सकती है। 'कोसल' और 'विदेह' की सीमा पर सदानीरा' नदी बहती थी। ब्राह्मण-ग्रंथों में विदेहराज जनक को 'सम्राट' कहा गया है, जिससे उत्तर-वैदिककाल में विदेह-राज्य का महत्त्व सूचित होता है। वाल्मीकि रामायण' में सीता के पिता मिथिलाधिप जनक को वैदेह' कहा गया है—'एवमुक्त्वा मुनिश्रेष्ठं वैदेहो मिथिलाधिप:' (बाल. 65,39)। सीता इसीकारण वैदेही' कहलाती थीं। 'महाभारत' में विदेहदेश पर भीम की विजय का उल्लेख है तथा जनक को यहाँ का राजा बताया गया है, जो निश्चयपूर्वक ही विदेह-नरेशों का कुलनाम था—'शर्मकान् वर्मकांश्चैव व्यजयत् सान्त्वपूर्वकम्, वैदेहकं राजानं जनकं जगतीपतिम्' –(सभापर्व, 30,13)। भास ने स्वप्नवासवदत्तम्' अंक 6 में सहस्रानीक के वैदेहीपुत्र' नामक पुत्र का उल्लेख किया है, जिससे ऐसा जान पड़ता है कि उसकी माता विदेह की राजकुमारी थी। वायुपुराण' (88,7-8) में निमि को विदेह-नरेश बताया गया है। विष्णुपुराण' (4,13,107) में विदेहनगरी (मिथिला) का उल्लेख हैवर्षत्रयान्ते च बभ्रूग्रसेन-प्रभृतिभिर्यादवैर्न तद्रत्नं कृष्णोनापहृतमिति कृतावगतिभिर्विदेहनगरी गत्वा बलदेव: सम्प्रत्याय्य द्वारकामानीत:' । बौद्ध-काल में संभवत: बिहार के वृज्जि' तथा 'लिच्छवी' जनपदों की भाँति भी विदेह भी गणराज्य बन गया था। जैन-तीर्थंकर महावीर की माता त्रिशला को जैन-साहित्य में 'विदेहदत्ता' कहा गया है। इस समय वैशाली की स्थिति विदेह-राज्य में मानी जाती थी। बुद्ध और महावीर के समय में वैशाली लिच्छवी-गणराज्य की भी राजधानी थी। तथ्य यह जान पड़ता है कि इस काल में विदेह' नाम संभवत: स्थूलरूप से उत्तरी-बिहार के सम्पूर्ण-क्षेत्र के लिए प्रयुक्त होने लगा था।20 जैन-परम्परा के चौबीसवें तीर्थंकर महापुरुष भगवान महावीर का जन्म इसी विदेहप्रान्त' में हुआ था। प्राच्य भारतीय भूगोल के विशेषज्ञों ने विदेह-प्रान्त की स्थिति आधुनिक बिहार में गंगा के उत्तरवर्ती क्षेत्र के रूप में मानी है। उनके अनुसार गंगा के उत्तर का भाग 'विदेह' कहलाता था, तथा गंगा के दक्षिण का भाग 'मगध' कहलाता था। इस विषय में भारत सरकार के द्वारा स्वीकृत मानचित्र की प्रति इस अंक के पृष्ठभाग पर दर्शायी गई है। समस्त प्राचीन आचार्यों, विद्वानों एवं आधुनिक गवेषी अनुसंधाताओं ने भगवान महावीर का जन्म विदेह- प्रान्त में ही माना है। उस समय विदेह-प्रान्त का प्रमुख महानगर वैशाली' था, जोकि वज्जि-गणतन्त्र की राजधानी भी था। इसी वैशाली महानगर के निकटवर्ती 'कुण्डपुर' को महाराजा सिद्धार्थ की राजधानी के नाम से जाना जाता था, जैसाकि इस मानचित्र से स्पष्ट है। प्राचीनकाल में वैशाली और कुण्डपुर दो भिन्न-भिन्न नहीं माने जाते थे, इसीलिये दोनों का एक साथ उल्लेख अनेक महत्त्वपूर्ण-प्रसंगों में किया गया है। उदाहरण के रूप में एक-दो उद्धरण द्रष्टव्य हैं प्राकृतविद्या-जनवरी-जून '2002 वैशालिक-महावीर-विशेषांक 00 13 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003216
Book TitlePrakrit Vidya 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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