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________________ विदेशी पर्यटकों के झुण्ड आपके मन को सहज ही मोह लेंगे। जाड़े के मौसम में यहाँ अधिक भीड़ रहती है। प्राय: बड़े दिनों की छुट्टी एवं मलमास मेले के अवसर पर राजगृह एक चहल-पहल का स्थान बन जाता है। यहाँ गर्म जल के झरने हैं, जो लोहा, गंधक और रेडियमयुक्त है। पेट की बीमारी एवं गठिया आदि रोगों से मुक्ति पाने के लिये बड़ी संख्या में लोग यहाँ आते हैं। __महात्मा बुद्ध एवं भगवान् महावीर को यह स्थान बड़ा प्रिय था। यह प्रसिद्ध रम्य स्थल सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है। वैभरा, विपुल्ला, छाता, शैला, रत्न, उदय और सोना ---इन सात पहाड़ियों की छटा यहाँ देखते बनती है। बड़े-बड़े महात्मा और सुधारक यहाँ इसीकारण आये। यहाँ हिन्दू, मुसलमान, सिक्ख, ईसाई सभी धर्मों के अनुयायी आते हैं। मुसलमान फकीर मखदूमशाह ने भी इस स्थान को तपस्या और साधना के लिये उत्तम समझा था। यही पर उनका स्मारक भी है तथा उन्हीं के नाम पर गर्म झरने का नाम 'मखदूम कुंड' है। प्रसिद्ध यात्री ह्वेनसांग ने तो कई बार यहाँ की यात्रा की थी। उसने अपनी यात्रा पुस्तकों में राजगृह' के बारे में लिखा है। प्राकृतिक सुंदरता के अलावा यहाँ प्राचीनकाल की कुछ ऐसी यादें भी हैं, जो देशविदेश के घुमक्कड़ों को सहज ही अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इनमें वेणुवन, गर्म झरने, विप्पक्षा गुफा, सप्तपर्णी गुफा, मनियार मठ, स्वर्ण-भंडार गुफा, राणा भूहिम, बिंबिसार का कारागार, जीवक का आम्रवन, रथों का चिह्न, भीमकाय दीवारें, विश्वशांति-स्तूप उल्लेखनीय है। इनके बिना राजगृह का वर्णन पूर्ण हो ही नहीं सकता। राजगृह में पर्यटकों के ठहरने के लिये सरकार की ओर से डाक-बंगले और विश्रामगृह बने हुए हैं। इसके अलावा यात्रियों के ठहरने के लिये यहाँ कई धर्मशालायें भी हैं। पर्यटन विभाग का एक रेस्ट हाउस भी यहाँ है। यह एक रमणीय तीर्थस्थान है, जो पर्यटन की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण है। वेणुवन :-- वेणुवन को बांस का उद्यान' भी कहते हैं। इतिहास में बताया गया है कि इसे राजा बिंबिसार ने महात्मा बुद्ध के ठहरने के लिये बनवाया था और वास्तव में यहाँ महात्मा बुद्ध की काफी दिनों तक ठहरे भी थे। पास ही 'करंद सरोवर' भी है। यहाँ झिलमिल करते जल का सुन्दर तालाब है, जो वेणुवन से सटा है। कहा जाता है कि महात्मा बुद्ध इसमें स्नान करते थे। यहाँ सात झरनों का एक समूह है, जिसे 'सतधारा' भी कहते हैं। सातों झरने गर्म जल के हैं। जाड़े के दिनों में हजारों लोग यहाँ आते हैं और इन झरनों में स्नान करते हैं। लोगों का ऐसा विश्वास है कि इन गर्म झरनों के जल में कुछ ऐसे खनिज पदार्थों का मिश्रण है, जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी सिद्ध होते हैं । जाड़े के मौसम में यहाँ अधिक भीड़ रहती है। ये गर्म जल के झरने लोहा, गंधक और रेडियमयुक्त हैं। पेट की बीमारी और गठिया आदि रोगों से मुक्ति पाने के लिये बड़ी संख्या में In 72 पाकतविटा जनवरी जन2001 (संगल्तांक) Jain Education International For Private & Personal Use Only दातीर लन्दना नियोशांक www.jainelibrary.org
SR No.003215
Book TitlePrakrit Vidya 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajaram Jain, Sudip Jain
PublisherKundkund Bharti Trust
Publication Year2001
Total Pages148
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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