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चालीसा
दुर्गम का धरा पर कीन्हा । दुर्गा नाम सकल जग लीन्हा ।।
आपने पृथ्वी पर दुर्गम कार्यों का संपादन किया, जिससे सम्पूर्ण
संसार आपको दुर्गा नाम से पुकारने लगा।
दुर्ग आदि हरनी तू माता ।
कृपा करहु जब जब सुखदाता ।।
दुर्ग आदि राक्षसों का नाश करनेवाली, हे मां ! आप सुख प्रदान करनेवाली हो, मुझ पर कृपा करो ।
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नृप कोपित जो मारन चाहै । कानन में घेरे मृग नाहै । ।
क्रुद्ध होकर यदि राजा किसी को मारना चाहता हो, जंगल में सिंह आदि हिंसक पशु यदि घेर लें
सागर मध्य पोत के भंगे।
अति तूफान नहिं कोऊ संगे ।।
सागर के मध्य नौका यदि क्षतिग्रस्त हो जाए या फिर
भयंकर तूफान में घिर जाए,
भूत प्रेत बाधा या दुःख में।
हो दरिद्र अथवा संकट में ।।
किसी को भूत-प्रेत आदि बाहरी बाधा हो, असमय दुख, झगडे, दरिद्रता हो
अथवा संकट की घडी हो,
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