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चालीसा
भरत-मातु बुधि फेरेउ जाई।
रामचन्द्र बनवास कराई।। भरत की मां कैकयी की बुद्धि आपने उलट दी और रामचन्द्रजी को राज्य
की जगह बनवास दिलवा दिया।
एहि विधि रावन वध तुम कीन्हा।
सुर नर मुनि सबकहुं सुख दीन्हा।। इस पर आपने रावण का वध करवा कर देवताओं, मनुष्यों
और मुनियों आदि सभी को सुख प्रदान किया।
को समरथ तव यश गुन गाना।
निगम अनादि अनंत बखाना।। आपके यश का गुणगान करने में कौन समर्थ हो सकता है? वेदों में भी आपको अनादि और अनन्त बताया गया है।
विष्णु रूद्र अज सकहिं न मारी।
जिनकी हो तुम रक्षाकारी।। विष्णु,रूद्र और ब्रह्मा भी उसका कुछ नहीं बिगाड सकते,
जिसकी रक्षा करने वाली आप हैं।
रक्त दन्तिका और शताक्षी।
नाम अपार है दानव भक्षी।। रक्तदन्तिका, सौ नेत्रों वाली (शताक्षी) तथा दानव भक्षी (राक्षसों का संहार करने वाली) आपके अनंत नाम हैं।
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