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चालीसा
राखु लाज जननी अब मेरी।
विनय करूं बहु भांति घनेरी।। हे मां ! अब आप मेरी लज्जा की रक्षा करो, मैं हृदय से,
अनेक प्रकार से आपकी विनती करता हूं।
मैं अनाथ तेरी अवलंबा।
कृपा करउ जय जय जगदंबा।। हे माँ जगदम्बा! आपकी जय हो, जय हो। मैं अनाथ हूं, मुझे
केवल आपका ही सहारा है। मुझ पर कपा करो।
मधु कैटभ जो अति बलवाना।
बाहुयुद्ध विष्णु ते ठाना।। मधु और कैटभ नामक भयंकर और अत्यन्त बलशाली राक्षसों
ने जब विष्णु भगवान से बाहु-युद्ध छेड दिया,
समर हजार पांच में घोरा।
फिर भी मुख उनसे नहिं मोरा।। पांच वर्षों तक घोर संग्राम होता रहा, फिर भी, ब्रह्माजी से मिले
वरदान के कारण, वे पराजित नहीं हो रहे थे।
मातु सहाय भई तेहि काला।
बुधि विपरीत करी खलहाला ।। हे मां ! उस समय आप ही ने विष्णु जी की सहायता की
और उन दुष्ट राक्षसों की बुद्धि उलट दी।
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