________________
चालीसा
कालिदास जो भये विख्याता।
तेरी कृपा दृष्टि से माता ।। हे माते ! आपकी ही कृपादृष्टि से महाकवि कालिदास (जो जडमति थे)
विश्वविख्यात हो गए।
तुलसी सूर आदि विद्वाना।
भये और जो ज्ञानी नाना।। महाकवि तुलसीदास, सूरदास आदि विद्वान कवि तथा जो अन्य
अनेक ज्ञानी विद्वान हुए हैं,
तिन्हहिं न और रहेउ अवलम्बा।
केवल कृपा आपकी अम्बा।। हे माँ उन सभी को आपकी कृपा के अतिरिक्त और कोई भी
सहारा नहीं था। उनकी कृतियां आपका ही प्रताप हैं।
करहु कृपा सोइ मातु भवानी।
दुखित दीन निज दासहि जानी।। हे माँ भवानी ! अपने इस दास को दुखी और दीन जानकर
वही कृपा इस पर भी कीजिए।
पुत्र करइ अपराध बहूता।
तेहि न धरइ चित सुन्दर माता।। माता अपने पुत्र के कुपुत्र हो जाने पर भी क्षमा ही करती है,
क्योंकि पुत्र तो अनेक अपराध करते ही रहते हैं।
57
Jain Education Intemational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org