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________________ चालीसा Jain Education International रूप चतुर्भुजधारी माता । सकल विश्व अन्दर विख्याता ।। हे माँ आपने चार भुजाओं वाले रूप को धारण किया और सम्पूर्ण संसार में विख्यात हो गई । जग में पाप बुद्धि जब होती । जबहि धर्म की फीकी ज्योती ।। जिस समय संसार में पापबुद्धि वाले बढ जाते हैं और जब धर्म की ज्योति मंद पड जाती है, तबहि मातु ले निज अवतारा । पाप हीन करती महि तारा ।। हे माते ! आप तभी अवतरित होकर सम्पूर्ण पृथ्वी को पाप से रहित कर उसका उद्धार करती हैं । बाल्मिकी जी थे हत्यारा । तव प्रसाद जानै संसारा ।। आपने महर्षि बाल्मीकि पर कृपा की तथा उन्हें अत्यधिक विद्या, बुद्धि और ज्ञान प्रदान कर जगप्रसिद्ध किया । रामायण जो रचे बनाई । आदि कवी की पदवी पाई ।। वे भगवान राम के जीवन-चरित्र, आदिकाव्य रामायण की रचना कर आदिकवि के पद पर प्रतिष्ठित हो गए। 56 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003213
Book TitleShardanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnima A Desai
PublisherShikshayatan Cultural Center, Newyork USA
Publication Year2007
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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