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चालीसा
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रूप चतुर्भुजधारी माता । सकल विश्व अन्दर विख्याता ।।
हे माँ आपने चार भुजाओं वाले रूप को धारण किया और सम्पूर्ण संसार में विख्यात हो गई ।
जग में पाप बुद्धि जब होती ।
जबहि धर्म की फीकी ज्योती ।।
जिस समय संसार में पापबुद्धि वाले बढ जाते हैं और जब धर्म की ज्योति मंद पड जाती है,
तबहि मातु ले निज अवतारा ।
पाप हीन करती महि तारा ।।
हे माते ! आप तभी अवतरित होकर सम्पूर्ण पृथ्वी को पाप से रहित कर उसका उद्धार करती हैं ।
बाल्मिकी जी थे हत्यारा ।
तव प्रसाद जानै संसारा ।।
आपने महर्षि बाल्मीकि पर कृपा की तथा उन्हें अत्यधिक
विद्या, बुद्धि और ज्ञान प्रदान कर जगप्रसिद्ध किया ।
रामायण जो रचे बनाई ।
आदि कवी की पदवी पाई ।।
वे भगवान राम के जीवन-चरित्र, आदिकाव्य रामायण की रचना कर आदिकवि के पद पर प्रतिष्ठित हो गए।
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