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________________ भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास] [ मुख्य २ घटनाओं का समय १५६ १६० १७० ८६ वर्ष आचार्य यक्षदेव सूरि का सिन्ध भूमि की तरफ विहार , सिन्ध का शिवनगर में प्राचार्य यक्षदेव सूरि का व्याख्यान शिवनगर के राजा राजा सूद्राठ के बनाये महावीर मन्दिर की प्रतिष्ठा ,, सिन्ध के राव सूद्राठ राजकुँवर ककव की दीक्षा-महामहोत्सव मुनि कक्कर की प्रतिज्ञा जननी जन्म भूमि का उद्धार करना शय्यंभवसूरि ने म्वपुत्र मणक को दीक्षा दी और दशवैकालिक सूत्र का निर्माण , आर्य शय्यंभवसूरि का स्वर्गवास और यशोभद्रसूरि संघ नायक १०८ , श्रार्य संभूतिविजय की दीक्षा ११६ , श्रार्य स्थुलिभद्र की जन्म मत्तान्तर १२० वर्ष १२८ , प्राचार्य यक्षदेवसूरि का पद त्याग और कक्कसूरि गच्छ नायक पद १३६ आय्ये भद्रबाहु स्वामि की दीक्षा १४८ आर्य यशोभद्र सूरि का पद त्याग और संभूति विजय और भद्रवाहु पट्टधर १४६ आठवाँ नन्द राजा की कलिंग पर चढ़ाई और जिन मूर्ति ले आना १४६ आर्य महागिरि का जन्म १५५ मगद की गादी पर मौर्य चन्द्रगुप्त का राज्याभिषेक और जैन मंत्री चाणक्य । १५० आय्ये स्थुलिभद्र की दीक्षा ,, आर्य संभूतिविजय का पद त्याग और भद्रबाहु संघ नायक , पूर्व में द्वादशवर्षीय दुष्काल के अन्त में पाटलीपुत्र में संघ सभा पूर्व आर्य भद्रबाहु ने तीन छेद सूत्र और दश नियुक्तियों की रचना की आर्य भद्रबाहु का कुमार पर्वत पर अनसन ब्रत । आये भद्रबाहु स्वामी का पद त्याग और स्थुलिभद्र संघ नायक आर्य महागिरी की दीक्षा १८० मौर्य सम्राट चन्द्रगुप्त का पद त्याग विन्दुसार मगदेश्वर १६२ अायं सुहस्ती का जन्म १८२ आचार्य ककसूरि का पद त्याग और देवगुप्तसूरि गच्छ नायक २०४ मौर्य राजा बिन्दुसार का पद त्याग अशोक का राज्याभिषेक जिनशासन में आसाढ़ाचार्य तीसरा निन्हव आर्य स्थुलिभद्र का पद त्याग और महागिरि संघ नायक जिनशासन में अश्वमित्र नामक चतुर्थ निन्हव आय्ये सुहस्तीजी की दीक्षा आचार्य देवगुप्त पूरि का पद त्याग और सिद्धसूरि गच्छ नायक २२८ जिनशासन में गर्गाचार्य नामक पांचवा निन्हव २८८ कलिंग के सिंहासन पर खेमराज का राज २३६ सम्राट अशोक की कलिंग पर चढ़ाई मत्तान्तर'..... २४४ ,, अशोक का पद त्याग और सम्प्रति का राज्याभिषेक २४५ ,, आर्य महागिरिजी का पद त्याग और सुहस्ती सूरि संघ नायक २४६ , सम्राट सम्प्रति ने मगद को छोड़ उज्जैन में राजधानी कायम की १५५६ १७६ २१४ २१५ २२० २२२ २२३ •ww.wwwwwwwwww Jain Education international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003212
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages842
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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